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सुशीला ने गर्भ गिराने की सोची, लेकिन डाक्टर के मुताबिक वह संभव नहीं था. क्षमा की जान जा सकती थी. फिर तो उन की सांसें अटकने जैसी स्थिति में आ गईं. शरीर में काटो तो खून नहीं.

दोनों बहनें समझ नहीं पा रही थीं कि क्या करें, क्या नहीं. जिस ने क्षमा के साथ दुष्कर्म किया था, वे दबंग और बदमाश किस्म के थे. उन के लिए एक ओर बदनामी का डर था तो दूसरी ओर जान का खतरा भी था.

इस की जानकारी कैलाश को हुई, तब वह गुस्से से आगबबूला हो गए. इस की शिकायत ले कर दोनों भाइयों के पास गए, लेकिन उस ने उसी पर आरोप लगा दिया.

क्षमा के पेट में पलने वाला उस का ही बच्चा बताया और धमका कर भगा दिया. उस के बाद कैलाश और भी डर गए. वह तुरंत अपने औफिस गए और सीनियर से किसी दूसरे शहर में ट्रांसफर करवाने की विनती की. इस का कारण पारिवारिक मजबूरी बताया.

गर्भवती होने पर जीजा ने करा लिया तबादला

खैर, कैलाश का तबादला बरेली से रामपुर हो गया. वह सुशीला और क्षमा को ले कर रामपुर आ गए. वहीं क्षमा की एक नर्सिंगहोम में डिलीवरी हुई. क्षमा ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया. उस वक्त क्षमा की उम्र 13 साल हो चुकी थी.

कैलाश ने हरदोई के एक दंपति से बच्चा गोद लेने की बात कर ली थी. संयोग से राजेश अग्निहोत्री को एक बेटी थी. बेटे की चाहत में उस ने क्षमा के बच्चे को गोद ले लिया.

राजेश अग्निहोत्री कैलाश के गांव का ही रहने वाला था, इसलिए उस ने कानूनी प्रक्रिया को ज्यादा महत्त्व नहीं दिया. राजेश ने बच्चे का नाम विकास अग्निहोत्री रखा.

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