पहली मई, 2019 की बात है. दिन के करीब 12 बजे का समय था, जब महाराष्ट्र के अहमदनगर से करीब 90 किलोमीटर दूर थाना पारनेर क्षेत्र के गांव निधोज में उस समय अफरातफरी मच गई, जब गांव के एक घर में अचानक आग के धुएं, लपटों और चीखनेचिल्लाने की आवाजें आनी शुरू हुईं. चीखनेचिल्लाने की आवाजें सुन कर गांव वाले एकत्र हो गए. लेकिन घर के मुख्यद्वार पर ताला लटका देख खुद को असहाय महसूस करने लगे.
दरवाजा टूटते ही घर के अंदर से 3 बच्चे, एक युवक और युवती निकल कर बाहर आए. बच्चों की हालत तो ठीक थी, लेकिन युवती और युवक की स्थिति काफी नाजुक थी. गांव वालों ने आननफानन में एंबुलेंस बुला कर उन्हें स्थानीय अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने उन का प्राथमिक उपचार कर के उन्हें पुणे के सेसूनडाक अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. साथ ही इस मामले की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम को भी दे दी.
पुलिस कंट्रोल रूम से मिली जानकारी पर थाना पारनेर के इंसपेक्टर बाजीराव पवार ने चार्जरूम में मौजूद ड्यूटी अफसर को बुला कर तुरंत इस मामले की डायरी बनवाई और बिना विलंब के एएसआई विजय कुमार बोत्रो, सिपाही भालचंद्र दिवटे, शिवाजी कावड़े और अन्ना वोरगे के साथ अस्पताल की तरफ रवाना हो गए. रास्ते में उन्होंने अपने मोबाइल फोन से मामले की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी.
जिस समय पुलिस टीम अस्पताल परिसर में पहुंची, वहां काफी लोगों की भीड़ जमा हो चुकी थी. इन में अधिकतर उस युवक और युवती के सगेसंबंधी थे. पूछताछ में पता चला कि युवती का नाम रुक्मिणी है और युवक का नाम मंगेश रणसिंग लोहार. रुक्मिणी लगभग 70 प्रतिशत और मंगेश 30 प्रतिशत जल चुका था. अधिक जल जाने के कारण रुक्मिणी बयान देने की स्थिति में नहीं थी. मंगेश रणसिंग भी कुछ बताने की स्थिति में नहीं था.