रोजी उसे कम खानापीना देती थी. चाय भी छोटी सी प्याली में मिलती थी. उसे रात के खाने में अधिकांशत: दोपहर का बासी खाना दिया जाता था. खाना मांगने पर वह अकसर कहा करती थी, ‘तुम खाने के लिए जानवरों की तरह बोलते हो और जानवरों की तरह ही खाते हो.’
पिता के मरने के बाद राजेश के सामने यह समस्या आ खड़ी हुई थी कि रोजी उसे गिन कर 4-5 रोटियां देती थी, जिस में से एक रोटी वह अपने दिवंगत पिता के नाम की निकाल कर कुत्तों को खिला देता था. इसलिए उस की एक रोटी और कम होने लगी थी. पहले ही 4 रोटी से उस का पेट नहीं भरता था, अब तो उसे पता भी नहीं चलता था कि उस ने खाना खाया भी है या नहीं.
घटना वाले दिन 16 मई, 2019 को भी यही हुआ था. सुबह 7 बजे से काम करतेकरते दोपहर को जब उसे भूख लगी तो उस ने खाना मांगा. इस पर मालकिन रोजी ने उस से कहा, ‘‘खाना अभी बना नहीं है. दीपांशु के आने के बाद बनेगा. तभी मिलेगा.’’
इस पर राजेश ने हाथ जोड़ कर निवेदन करते हुए कहा, ‘‘भाभीजी, साहब लोग पता नहीं कब तक आएंगे, लेकिन भूख से मेरी जान निकल रही है. यदि आप खाना नहीं बना सकतीं तो मैं खुद बना कर खा लूंगा.’’
रोजी ने तब उसे रटेरटाए शब्द सुनाए कि तुम खाने के लिए जानवरों की तरह बोलते हो और जानवरों की तरह खाते हो. हर बार यह बातें सुनतेसुनते इस बार राजेश को गुस्सा आ गया था. बात उस की बरदाश्त से बाहर चली गई थी.