19 साल की कीर्ति हमेशा की तरह घर से बाजार जाने को कह कर निकली थी. मां को बताया था कि वह पहले कांता के पास जाएगी. उसे भी साथ में जाना है. उस को अपने लिए कुछ जरूरी सामान खरीदना है. रास्ते में ही उस का भाई कुणाल मिल गया. वह ट्यूशन पढ़ कर साइकिल से घर लौट रहा था. उस ने टोका था, ‘‘कहां जा रही है अकेली?’’
कुणाल कीर्ति से केवल एक साल छोटा था. भाई को भी उस ने सहमते हुए वही कहा, जो मां से बता कर निकली थी. इस पर उस ने सवाल भी किए थे, ‘‘लेकिन, कांता का घर तो पीछे रह गया?’’ कुणाल ने उस से कहा.
इस पर सफाई देते हुए वह बोली, ‘‘कांता खेत पर गई हुई है, रास्ते में मिल जाएगी.’’
उस के बाद कीर्ति तेजी से आगे बढ़ गई और कुणाल तेजी से साइकिल के पैडल मारते हुए वहां से चला गया.
उस के जाते ही कीर्ति अपने आप से बोलने लगी, ‘हुंह... बड़ा आया सवाल- जवाब करने वाला. खुद तो ट्यूशन के बहाने दोस्तों के साथ घूमता फिरता है और हमें रोकताटोकता रहता है.’
इस के बाद कीर्ति अपने प्रेमी अविनाश के पास एक निश्चित जगह पर पहुंच गई, जो उस का इंतजार कर रहा था. उसे देखते ही अविनाश खुश हो गया. वह अपने मोबाइल में टाइम दिखा कर चहकती हुई बोली, ‘‘देखो, आज मैं ने तुम्हारी शिकायत पूरी कर दी है. एकदम समय पर पहुंच गई हूं.’’
‘‘मुझे तुम्हारा भाई घर जाते हुए दिखा था, तब लगा तुम शायद आज नहीं आ पाओगी, लेकिन तुम ने तो वाकई कमाल कर दिया.’’ खुशी और आश्चर्य से अविनाश ने उस के हाथ पकड़ लिए.