भोपाल के रहने वाले अक्षय सोमकुंवर की शादी करीब 8 साल पहले सुधा से हुई थी. दोनों एकदूसरे की पसंद थे. उन्होंने प्रेम किया था. सुधा और उस के परिवार के सभी सदस्य इस शादी से बेहद खुश थे, क्योंकि अक्षय सरकारी नौकरी करता था. नौकरी भले ही साधारण थी, लेकिन वह जहां काम करता था, उस जगह का नाम सुनते ही लोग सुधा को काफी मानसम्मान देते थे. सुधा भी अक्षय के कारण मिलने वाली इज्जत पा कर खुश हो जाती थी.
दरअसल, अक्षय भोपाल में मध्य प्रदेश सरकार के एक मंत्रालय में काम करता था. वह वल्लभ भवन में लिफ्टमैन था. अक्षय को आए दिन लिफ्ट में बड़ेबड़े राजनेता, मंत्री, मुख्यमंत्री और विभागों के बड़ेबड़े अधिकारियों से आमनेसामने होने का मौका मिलता था.
लिफ्ट में उन से उस की कोई बात नहीं हो पाती थी, लेकिन वह इतना जानता था कि जरूरत पड़ने पर किसी भी वीआईपी के पास आसानी जा सकता है.
इस कारण अक्षय के कई दोस्त बन गए थे. वे उसे गाहेबगाहे मदद भी करते रहते थे. उन्हीं में एक खास दोस्त सागर भी था. वह फोर्थ ग्रेड का कर्मचारी था और उसी बिल्डिंग में काम करता था. उस के संबंध दूसरे कई विभाग के अधिकारियों से थे. वह वहां का कोई भी काम चुटकी में निकलवा लिया करता था.
अक्षय और सागर से अच्छी दोस्ती होने के चलते दोनों फुरसत में अकसर साथ बैठते थे. एकदूसरे के सुखदुख की बातें करते थे. भविष्य की योजनाएं बनाते थे. परिवार की खुशहाली की बातें करते थे. पारिवारिक समस्याओं का समाधान निकाला करते थे.