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‘‘सर, मेरे भाई के बाए हाथ के पंजे में अंगूठा नहीं था. इस कंकाल के भी बाएं हाथ में सिर्फ चार अंगुलियों की हड्डियां हैं. अंगूठे की हड्डी गायब है. मेरे भाई के बाएं हाथ का अंगूठा एक दुर्घटना में पूरी तरह कट गया था.’’

फूलचंद ने विश्वास का कारण बताया तो इंसपेक्टर पाठक को भी लगा कि संभव है, कंकाल फूलचंद के भाई शिवलोचन का ही हो. वजह यह थी कि शिवलोचन काफी दिनों से गायब था. लेकिन कंकाल शिवलोचन का ही है, इस की वैज्ञानिक रूप से पुष्टि डीएनए टेस्ट होने पर ही हो सकती थी.

पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा के आदेश पर पुलिस ने नरकंकाल का पंचनामा भरवा कर उसे डीएनए टेस्ट के लिए भिजवाने की औपचारिकता पूरी की. डीएनए मिलान के लिए फोरेंसिक टीम के डाक्टरों ने शिवलोचन की मां चुनकी देवी का ब्लड सैंपल ले लिया.

पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा ने सीओ शिववचन सिंह को निर्देश दिया कि वह चुनकी देवी और उन के बेटे फूलचंद से शिवलोचन के गायब होने की शिकायत ले कर मुकदमा दर्ज करें. साथ ही शिवलोचन की लापता पत्नी माया और उस के दोनों बच्चों का भी पता लगाए.

पहाड़ी थाने के प्रभारी इंसपेक्टर अरुण पाठक ने शुरू में इस मामले को जितने सहज ढंग से लिया था, केस उतना ही पेचीदा निकला. यह जानकर उन्हें और भी ज्यादा आश्चर्य हुआ कि 2 महीने पहले माया अपने बच्चों को मां के पास छोड़ कर कहीं चली गई थी.

इंसपेक्टर अरुण पाठक ने शिवलोचन और माया के संबंधों के बारे में गहराई से पता लगाने के लिए गांव के लोगों और शिवलोचन के परिवार के सभी सदस्यों से एकएक कर के पूछताछ करनी शुरू कर दी. उन लोगों से मिली जानकारी के बाद यह साफ हो गया कि शिवलोचन के घर में जो नरकंकाल मिला वह शिवलोचन का ही है.

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