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लोहदा गांव में रहने वाला 27 वर्षीय टुल्लू लोध उर्फ रज्जन राजपूत मकानों में टाइल्स लगाने का काम करता था. उस के परिवार में मातापिता के अलावा एक भाई व दो बहनें थीं. बहनों की शादी हो चुकी थी. जबकि छोटा भाई लल्लन अभी कुंवारा था. कई साल पहले टुल्लू की दोस्ती गांव के ही शिवलोचन से हो गई थी.

दोनों ही शराब पीने के शौकीन थे. सो दोस्ती की शुरुआत भी शराब के ठेके से हुई. टुल्लू और शिवलोचन ने एक बार साथ बैठ कर शराब पी तो जल्द ही उन की दोस्ती पारिवारिक संबंधों में तब्दील हो गई. दोनों एकदूसरे के घर आनेजाने लगे. कई बार दोनों का खानापीना भी साथसाथ होता था.

दरअसल, टुल्लू की शिवलोचन से गहरी दोस्ती की असली वजह उस की खूबसूरत और जवान पत्नी माया थी, जिसे वह भाभी कह कर बुलाता था. माया अल्हड़ और चंचल स्वभाव की औरत थी. टुल्लू को माया पहली ही नजर में भा गई थी. उस ने माया की नजरों में दिखाई देने वाली प्यास को पढ़ लिया था.

टुल्लू का शिवलोचन के घर आनाजाना शुरू हुआ तो जल्दी ही यह सिलसिला शिवलोचन की अनुपस्थिति में भीचलने लगा.एक तरफ माया की जवानी उफान मार रही थी, जबकि दूसरी ओर उस का पति शिवलोचन काफीकाफी दिनों तक घर से दूर रहता था. माया उम्र के उस दौर से गुजर रही थी जब औरत को हर रात मर्द के साथ की जरूरत होती है.

टुल्लू ने पति से दूर रह रही और पुरुष संसर्ग के लिए तरसती माया के आंचल में अपने प्यार और हमदर्दी की बूंदें उडे़ली तो माया निहाल हो गई. जल्दी ही दोनों के बीच नाजायज रिश्ते बन गए. माया, टुल्लू के प्यार में ऐसी दीवानी हुई कि दोनों के बीच रोज शारीरिक संबंध बनने लगे. शिवलोचन काफीकाफी दिनों तक घर के बाहर रहता था. रोकटोक करने वाला कोई नहीं था.

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