29 जुलाई, 2017 की रात साहिल उर्फ शुभम वोल्वो बस पकड़ कर लखनऊ से जौनपुर जा रहा था. उस के साथ उस का भाई सनी भी था. रात गहराते ही बस की लगभग सभी सवारियां सो गई थीं. रात 2 बजे फोन की घंटी बजी तो साहिल की आंखें खुल गईं. उस ने मोबाइल स्क्रीन देखी, नंबर उस की भाभी शिवानी का था. उस ने जैसे ही फोन रिसीव कर के कान से लगाया, दूसरी ओर से शिवानी ने रोते हुए कहा, ‘‘साहिल, राहुल अब नहीं रहा. मैं भी उस के बिना नहीं रह सकती.’’
‘‘कैसे, क्या हुआ, कहां है राहुल?’’ साहिल ने परेशान हो कर पूछा.
‘‘राहुल ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली है. वह परदे की रस्सी बना कर उसी से लटक गया है.’’ शिवानी ने रोतेरोते कहा.
उस समय साहिल लखनऊ से काफी दूर बस में था. वह खुद कुछ कर नहीं सकता था, इसलिए वह सोचने लगा कि शिवानी की मदद कैसे की जाए. एकाएक उस की समझ में कुछ नहीं आया तो उस ने कहा, ‘‘भाभी, आप जल्दी से राहुल भैया को उतारिए.’’
‘‘साहिल, मैं हर तरह से कोशिश कर चुकी हूं, पर उतार नहीं पाई. मैं ने घर से बाहर जा कर कालोनी वालों को आवाज भी लगाई, पर कोई भी मेरी मदद के लिए नहीं आया. अब तुम्हीं बताओ मैं क्या करूं. मैं राहुल के बिना कैसे रहूंगी?’’ शिवानी ने रोते हुए साहिल से मदद मांगी.
‘‘भाभी, मैं तो लखनऊ से बहुत दूर हूं. आप एक काम करें, वहीं मेज पर लाइटर रखा होगा, आप उस से परदे की गांठ में आग लगा दीजिए, परदा जल कर टूट जाएगा. आप इतना कीजिए, तब तक मैं मदद के लिए किसी से बात करता हूं.’’