लवकुश शुक्ला और अविनाश यादव मूलत: उत्तर प्रदेश के निवासी थे. लवकुश काफी समय से के. विश्वनाथ शर्मा और उन की पत्नी को जानता था. वह शर्मा दंपति के पंडरी स्थित दुबे नगर के मकान में बतौर किराएदार रहता था. शुक्ला जिंदगी में कुछ कर गुजरना चाहता था. उस की इच्छा थी कि वह फिल्मों में अभिनय करे.
शुक्ला पुणे स्थित फिल्म इंस्टीट्यूट भी गया था ताकि वहां एडमिशन ले कर अभिनय की बारीकियां सीख सके. लेकिन वहां एडमिशन के लिए उसे 5 लाख रुपयों की जरूरत थी. इसी दरम्यान एक दिन मकान मालिक वमसी लता को उस ने अपनी समस्या बताई और भाग्य का रोना भी रोया.
उस की आवश्यकता को ध्यान में रख कर वमसी लता ने उसे औफर दिया और बोली, ‘‘मैं तुम्हारे लिए पैसों का इंतजाम कर सकती हूं.’’ यह सुन कर लवकुश बहुत खुश हुआ. उस ने कहा, ‘‘दीदी, मैं आप का यह अहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा.’’
‘‘मगर तुम्हें मेरा एक काम करना होगा.’’ वमसी लता ने कहा.
‘‘बताइए, एक क्या 2 काम करूंगा.’’
‘‘सोच लो, मैं पैसे काम होने पर दूंगी, पहले एडवांस में भी कुछ नहीं.’’
थोड़ी देर सोच कर लवकुश ने कहा, ‘‘ठीक है, मुझे आप पर पूरा भरोसा है, मैं तैयार हूं.’’
यह सुन वमसी लता ने उसे अपने भाई जैसा होने का वास्ता दे कर अपनी तारतार जिंदगी का रोना रोते हुए कहा, ‘‘भैया, मैं सीमा के पापा से हद दर्जे तक परेशान हूं. तुम चाहो तो मुझे उन से मुक्ति दिला सकते हो.’’
‘‘मैं समझा नहीं,’’ लवकुश ने कहा.
‘‘तुम्हें उन को मेरे रास्ते से हटाना होगा.’’ वमसी लता ने कहा तो लवकुश अंदर ही अंदर कांप कर रह गया. लेकिन उस की आंखों के आगे 5 लाख रुपए नाच रहे थे. उसे अभिनेता बनने का अपना ख्वाब पूरा होता दिखाई दिया. इसलिए वह मान गया.