फोरैंसिक लैब की जांच में पता चला कि बाथरूम में मिले 3 मोबाइलों में एक वाटरप्रूफ था, लेकिन उस पर पैटर्न लौक था, जिस से वह खुल नहीं सका. पुलिस को दूसरे दिन डा. प्रकाश के घर से 2 मोबाइल और मिले. ये मोबाइल भी बंद थे. इन को भी साइबर एक्सपर्ट के पास भेजा गया. उन के फ्लैट से मिले लैपटौप और आईपैड को जांच के लिए सीआईडी की साइबर लैब भेजा गया.
पुलिस ने अदिति के दोस्तों से भी अलगअलग पूछताछ की. उन्होंने बताया कि अदिति ने उन से नौकरी छूटने की वजह से पापा के तनाव में होने की चर्चा की थी. अदिति के दोस्तों से पुलिस को ऐसी कोई ठोस वजह पता नहीं चली जिस से इस मामले की गुत्थी सुलझने में मदद मिलती.
सन फार्मा कंपनी में पूछताछ में पता चला कि डा. प्रकाश ने स्वेच्छा से नौकरी छोड़ी थी. कंपनी में उन का पद और सैलरी पैकेज काफी अच्छा था. कंपनी में किसी से उन का कोई विवाद भी सामने नहीं आया.
डा. सोनू सिंह के बारे में पुलिस को पता चला कि उन का बौद्ध धर्म से जुड़ाव था. उन्होंने अपनी सोसायटी में बौद्ध धर्म के अनुयाइयों की कम्युनिटी भी बनाई हुई थी. इस कम्युनिटी की वह ग्रुप लीडर थीं. सोसायटी में सोनू सिंह को बोल्ड महिला माना जाता था जबकि प्रकाश सिंह सौम्य स्वभाव के थे.
तीसरे दिन भी काफी माथापच्ची और जांचपड़ताल के बावजूद पुलिस को इस मामले में कोई तथ्य हाथ नहीं लगा. यह जरूर पता चला कि सोनू सिंह, अदिति और आदित्य की हत्या में जिस चाकू का उपयोग किया गया था, वह करीब एक साल पहले डा. प्रकाश सिंह द्वारा ही खरीदा गया था.