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‘‘क्या तुम प्यार की जगह अपने तन का सौदा करना चाहती हो?’’ दलबीर ने पूछा.

‘‘जब प्यार की जगह स्वार्थ पनप गया हो तो समझ लो कि मैं भी तन का सौदा करना चाहती हूं. अब तुम मेरे शरीर से तभी खेल पाओगे, जब एक लाख रुपया मेरे हाथ में थमाओगे.’’

‘‘यदि रुपयों का इंतजाम न हो पाया तो..?’’ दलबीर ने पूछा.

‘‘...तो मुझे भूल जाना.’’

दलबीर को सपने में भी उम्मीद न थी कि सरिता तन के सौदे की बात करेगी. उसे उम्मीद थी कि वह उस से माफी मांग कर तथा कुछ आर्थिक मदद कर उसे मना लेगा. पर ऐसा नहीं हुआ बल्कि सरिता ने उस से बड़ी रकम की मांग कर दी.

इस के बाद सरिता और दलबीर में दूरियां और बढ़ गईं. जब कभी दोनों का आमनासामना होता और दलबीर सरिता को मनाने की कोशिश करता तो वह एक ही जवाब देती, ‘‘मुझे तन के बदले धन चाहिए.’’

13 जनवरी, 2021 की सुबह 5 बजे दलबीर सिंह ने सरिता को फोन कर के अपने प्लौट में बनी झोपड़ी में बुलाया. सरिता को लगा कि शायद दलबीर ने रुपयों का इंतजाम कर लिया है. सो वह वहां जा पहुंच गई.

सरिता के वहां पहुंचते ही दलबीर उस के शरीर से छेड़छाड़ तथा प्रणय निवेदन करने लगा. सरिता ने छेड़छाड़ का विरोध किया और कहा कि वह तभी राजी होगी, जब उस के हाथ पर एक लाख रुपया होगा.

सरिता के इनकार पर दलबीर सिंह जबरदस्ती करने लगा. सरिता ने तब गुस्से में उस की नाक पर घूंसा जड़ दिया. नाक पर घूंसा पड़ते ही दलबीर तिलमिला उठा. उस ने पास पड़ी ईंट उठाई और सरिता के सिर पर दे मारी.

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