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राजमिस्त्री रईस अहमद दिन भर का थकामांदा रात 8 बजे घर वापस आया तो उस के घर का दरवाजा अंदर से बंद था. उस ने रुकरुक कर कई बार कुंडी खटखटाई, बीवी को आवाज भी लगाई, लेकिन उस की बीवी अदीबा बानो उर्फ फरजाना ने दरवाजा नहीं खोला.

रईस को तब गुस्सा आ गया, वह नशे में भी था सो वह फरजाना को भद्दीभद्दी गालियां बकने लगा. गालियां बकतेबकते जब वह थक गया तो उस ने घर के बाहर झोपड़ी के पास आग जलाई और तापने लगा.

अभी उसे तापते हुए आधा घंटा ही बीता था कि किसी ने उस पर धारदार हथियार से हमला कर दिया, जिस से उस का सिर फट गया और वहीं लुढ़क कर छटपटाने लगा.

इसी समय फरजाना दरवाजा खोल कर घर के बाहर आई तो उस ने झोपड़ी के पास शौहर को खून से लथपथ तड़पते देखा. तब वह चीखने और चिल्लाने लगी. कड़ाके की ठंड थी, सो लोग घरों में दुबके थे, लेकिन फरजाना की चीख सुन कर आसपड़ोस के इक्कादुक्का लोग घरों से निकले. फरजाना ने उन्हें बताया कि किसी ने उस के शौहर पर कातिलाना हमला किया है. यह सुन कर सभी दंग रह गए.

रईस के घर के पास ही उस का भाई वाहिद रहता था. उस ने भौजाई फरजाना के रोने की आवाज सुनी तो हड़बड़ा कर घर के बाहर आया. उस ने भाई रईस को मरणासन्न स्थिति में देखा तो उस का कलेजा कांप उठा. साथ ही मन में तरहतरह की आशंकाएं उठने लगीं.

इधर एक वफादार बीवी की तरह फरजाना ने शौहर को वाहिद की मदद से 4 पहिए वाली ठिलिया पर लादा और कन्नौज जिले में स्थित ठठिया के सरकारी अस्पताल की ओर भागी. लेकिन अस्पताल पहुंचतेपहुंचते रईस ने दम तोड़ दिया. डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया. तब वह रईस के शव को वापस घर ले आए. यह घटना 21 दिसंबर, 2022 की रात 9 बजे भदोसी गांव में घटित हुई थी.

सुबह सूरज के निकलते ही रईस की हत्या की खबर भदोसी गांव में फैली तो लोगों का जमावड़ा रईस के दरवाजे पर शुरू हो गया. लोग आपस में कानाफूसी भी करने लगे. फिर तो जितने मुंह उतनी बातें होने लगीं. इसी बीच ग्रामप्रधान रामजी कुशवाहा ने रईस की हत्या की खबर थाना ठठिया पुलिस को दे दी.

चूंकि मामला हत्या का था, अत: एसएचओ कमल भाटी पुलिस दल के साथ भदोसी गांव रवाना हो लिए. रवाना होने से पहले उन्होंने वारदात की खबर पुलिस अधिकारियों को भी दे दी थी.

भदोसी गांव ठठिया थाने के पास ही था, अत: पुलिस को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. उस समय वहां ग्रामीणों की भीड़ जुटी थी. भीड़ को हटाते कमल भाटी उस स्थान पर पहुंचे, जहां मृतक रईस का शव पड़ा था.

एसएचओ कमल भाटी ने शव का निरीक्षण किया तो वह चौंक गए. क्योंकि हत्यारों ने बड़ी निर्दयतापूर्वक धारदार हथियार से रईस की हत्या की थी. उस के सिर के पीछे की ओर गहरा घाव था. सिर की हड्डी कटने और अधिक खून बहने से ही शायद उस की मौत हुई थी. हत्यारों ने उस के सिर पर शायद पीछे से ही वार किया था. मृतक रईस की उम्र 50 वर्ष के आसपास थी और शरीर दुबलापतला था.

एसएचओ कमल भाटी अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी (कन्नौज) कुंवर अनुपम सिंह तथा एएसपी डा. अरविंद कुमार भी आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौकाएवारदात का बारीकी से निरीक्षण किया. फिर ग्रामप्रधान रामजी कुशवाहा व अड़ोसपड़ोस के लोगों से घटना के संबंध में जानकारी हासिल की.

घटनास्थल पर मृतक की बीवी अदीबा बानो उर्फ फरजाना मौजूद थी. वह शौहर के शव के पास रो रही थी. एएसपी डा. अरविंद कुमार ने उसे धैर्य बंधाया और फिर उस से घटना के संबंध में पूछताछ की.

फरजाना ने बताया कि वह दरवाजा बंद कर घर के अंदर सो रही थी. रात 9 बजे उस की आंख खुली तो वह दरवाजा खोल कर घर के बाहर आई. वहां उस ने झोपड़ी के पास शौहर को छटपटाते देखा. किसी ने उन पर जानलेवा हमला किया था. उस ने शोर मचाया तो कुछ लोग घरों से निकले. उस के बाद देवर वाहिद की मदद से शौहर को ठठिया अस्पताल ले गई, जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.

‘‘क्या तुम बता सकती हो कि तुम्हारे शौहर का कत्ल किस ने किया?’’ एएसपी ने पूछा.

‘‘नहीं साहब, मुझे पता नहीं.’’ फरजाना ने जवाब दिया.

‘‘रईस की किसी से गांव में रंजिश थी या कोई लेनदेन था?’’

‘‘नहीं साहब. गांव में उन की न तो किसी से रंजिश थी और न ही लेनदेन था. वह रोज कमानेखाने वाले आदमी थे. हां, वह शराब के लती जरूर थे.’’

मृतक रईस का भाई वाहिद पुलिस अफसर और अपनी भौजाई फरजाना की बातें गौर से सुन रहा था. भौजाई के त्रियाचरित्र से उसे मन ही मन गुस्सा भी आ रहा था. वह सोच रहा था कि शौहर के साथ घात करने के बाद अब कितनी पाकसाफ बनने की कोशिश कर रही है.

एसपी कुंवर अनुपम सिंह की निगाहें चंद कदम की दूरी पर बैठे वाहिद पर ही टिकी हुई थीं. उस के चेहरे पर गुस्से और गम के मिलेजुले भाव उभर रहे थे. ऐसा लग रहा था, जैसे वह अंदर भरे गुबार को बाहर लाना चाहता है, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है. कहीं वह अपने भाई की हत्या का रहस्य तो पेट में नहीं छिपाए है. यही सोच कर उन्होंने उसे अपने पास बुलाया फिर उसे पूछताछ के लिए एकांत में ले गए.

‘‘रईस तुम्हारा सगा भाई था?’’ एसपी कुंवर अनुपम सिंह ने वाहिद से पूछा.

‘‘जी साहब. हम दोनों सगे भाई थे,’’ वाहिद ने जवाब दिया.

‘‘तुम्हारे भाई की हत्या किस ने की, तुम्हें किसी पर शक है?’’

‘‘साहब, शक ही नहीं यकीन भी है कि उसी ने हत्या को अंजाम दिया है.’’ वाहिद ने विस्फोट किया.

‘‘किस पर यकीन है और किस ने हत्या को अंजाम दिया?’’ एसपी ने पूछा.

‘‘साहब, वह कोई और नहीं रईस की बीवी यानी मेरी भौजाई फरजाना है.’’

‘‘क्याऽऽ बीवी ने शौहर का कत्ल कर दिया?’’ एसपी कुंवर अनुपम सिंह ने अचकचा कर पूछा.

‘‘हां साहब, यही सच है.’’ वाहिद ने पूरा भरोसा जताते हुए कहा.

‘‘यह बात तुम यकीन के साथ कैसे कह सकते हो?’’ श्री सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, फरजाना का अपने पड़ोसी अमर सिंह कुशवाहा से नाजायज रिश्ता है. इन नापाक रिश्तों का रईस विरोध करता था. जिस रोज वह बीवी को रंगेहाथ पकड़ लेता था, उस रोज दोनों के बीच झगड़ा और मारपीट होती थी. रईस दोनों के नापाक रिश्तों में बाधक बन रहा था, इसलिए अदीबा बानो ने अपने प्रेमी अमर सिंह के साथ मिल कर उस की हत्या कर दी.’’

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