अवैध रिश्तों में हुई हत्या का पता चलते ही एसपी कुंवर अनुपम सिंह ने एसएचओ कमल भाटी को आदेश दिया कि वह शव को पोस्टमार्टम हाउस भेजें तथा मृतक के भाई की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर हत्यारोपियों को गिरफ्तार करें.
एसपी का आदेश पाते ही कमल भाटी ने रईस के शव को पोस्टमार्टम के लिए कन्नौज जिला अस्पताल भेज दिया. उस के बाद वाहिद की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के तहत अदीबा बानो उर्फ फरजाना और उस के आशिक अमर सिंह कुशवाहा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उन की गिरफ्तारी के प्रयास में जुट गए.
22 दिसंबर, 2022 की रात 10 बजे पुलिस ने आरोपी अमर सिंह को ठठिया स्थित शराब ठेके से गिरफ्तार कर लिया. उसे थाने लाया गया. उस समय वह शराब के नशे में था.
उस से जब रईस की हत्या के संबंध में पूछा गया तो उस ने सहज ही बता दिया कि उस ने फरजाना के उकसाने पर ही रईस की हत्या की थी. रईस उन दोनों के रिश्तों में बाधक बन रहा था. जुर्म कुबूलने के बाद अमर सिंह ने हत्या में इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी भी बरामद करा दी, जो उस ने गांव के बाहर अपने गेहूं के खेत में छिपा दी थी.
अगले दिन पुलिस ने फरजाना को भी हिरासत में ले लिया.
थाने में बंद अमर सिंह कुशवाहा पर जब उस की नजर पड़ी तो उसे समझते देर नहीं लगी कि शौहर की हत्या का राज खुल गया है. अत: उस ने सहज ही शौहर की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. पुलिस पूछताछ में इस हत्याकांड के पीछे एक दगाबाज दोस्त और एक गुनहगार बीवी का सच सामने आ गया.
गंगा नदी के पावन तट पर बसा उत्तर प्रदेश का कन्नौज शहर इतिहास के कई पन्नों में दर्ज है. यह शहर सुगंध की नगरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां का इत्रफुलेल पूरी दुनिया में अपनी खुशबू बिखेरता है. कन्नौज पहले फर्रुखाबाद जिले का एक बड़ा कस्बा था, लेकिन अब कन्नौज को जिले का दरजा हासिल है.
इसी जिले के ठठिया थाना अंतर्गत एक गांव है-भदोसी. यहीं पर पेशकार अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में बीवी फातिमा के अलावा 2 बेटे रईस व वाहिद थे. पेशकार के पास उपजाऊ जमीन नाममात्र की थी, जिस से परिवार का गुजरबसर नहीं हो पाता था. इसलिए वह जूते का कारोबार कर के घर का भरणपोषण करता था. पेशकार ने अपने जीतेजी ही दोनों बेटों के बीच घर व जमीन का बंटवारा कर दिया था. दोनों भाई अपनेअपने परिवार के साथ अलगअलग रहते थे.
रईस का विवाह अदीबा बानो उर्फ फरजाना के साथ हुआ था. वह बेहद खूबसूरत थी. कालांतर में वह 2 बेटों अनस व अंसार की मां बनी.
रईस का मन किसानी में नहीं लगता था, इसलिए वह राजमिस्त्री के साथ मेहनतमजदूरी करने लगा था. चूंकि रईस सीधासादा व मिलनसार इंसान था, इसलिए एक मिस्त्री ने उस पर तरस खा कर उसे राजमिस्त्री का काम सिखा दिया था. शुरू में तो उस का काम धीमा चला, लेकिन बाद में उस का काम चलने लगा और वह एक कुशल राजमिस्त्री बन गया.
रईस पैसे कमाने लगा तो उसे शराब पीने की लत लग गई. अदीबा बानो ने उसे कई बार समझाया भी, लेकिन उस ने पत्नी की बात नहीं मानी. 1-2 बार शराब पीने को ले कर रईस व फरजाना में झगड़ा भी हुआ. तब उस ने बीवी से साफ कह दिया कि वह शराब अपने पैसों से खरीद कर पीता है, उस के बाप के पैसों से नहीं. इस के अलावा वह बीवीबच्चों की जरूरतों को अनदेखा भी करने लगा था.
रईस के घर के बगल में अमर सिंह कुशवाहा का घर था. उस के पिता परशुराम कुशवाहा किसान थे. उन के पास 10 बीघा खेती की जमीन थी. अमर सिंह भी पिता के काम में हाथ बंटाता था. पड़ोसी होने के नाते दोनों में खानेपीने की दोस्ती थी.
हालांकि रईस उम्र में अमर सिंह से काफी बड़ा था. अमर सिंह शराबी तो था ही अय्याश भी था. इसी वजह से उस की पत्नी उसे छोड़ कर मायके चली गई थी. न अमर सिंह उसे लेने गया और न ही वह अपने मन से वापस ससुराल आई.
एक रोज अमर सिंह रईस के घर गया तो उस की बीवी अदीबा बानो को देख कर उस की नीयत बदल गई. चाहत की नजरें फरजाना के जिस्म पर टिक गईं. उसी पल फरजाना भी उस की नजरों को भांप गई थी. वह जान गई थी कि अमर के मन में क्या चल रहा है.
अमर सिंह शरीर से हट्टाकट्टा था. अदीबा बानो पहली ही नजर में उस की आंखों के रास्ते से दिल में उतर गई. रईस से बातचीत करते समय उस की नजरें बारबार फरजाना पर ही टिक जाती थीं. फरजाना को भी अमर सिंह अच्छा लगा. अमर सिंह की भूखी नजरों की चुभन जैसे उस की देह को सुकून पहुंचा रही थी.
अमर सिंह का मन फरजाना में उलझा तो वह उस के घर अकसर जाने लगा. उसे रिझाने की कोशिश भी करता था. एक दिन उस ने कहा, ‘‘भाभी, तुम्हें देख कर कोई कह नहीं सकता कि तुम 2 बच्चों की मां हो. तुम तो अभी भी जवान दिखती हो.’’
अपनी तारीफ सुन कर फरजाना गदगद हो गई थी. इस के बाद एक दिन उस ने कहा, ‘‘भाभी, तुम में गजब का आकर्षण है. कहां तुम और कहां रईस भाईजान, दोनों की कदकाठी, रंगरूप और उम्र में जमीनआसमान का अंतर है. तुम्हारे सामने रईस भाईजान कहीं नहीं ठहरते. तुम हूर की परी हो, जबकि भाईजान कुछ भी नहीं.’’
अपनी तारीफ सुन कर फरजाना जहां एक ओर फूली नहीं समाई, वहीं दिखावे के लिए उस ने मंदमंद मुसकराते हुए अमर सिंह की ओर देखते हुए कहा, ‘‘झूठे कहीं के, तुम जरूरत से ज्यादा तारीफ कर रहे हो. मुझे तुम्हारी इस तारीफ में दाल में कुछ काला नजर आ रहा है. आने दो उन्हें बताती हूं उन से.’’
इतना कह कर फरजाना जोरजोर से हंसने लगी. हकीकत यह थी कि फरजाना अमर सिंह को मन ही मन चाहने लगी थी. उस ने केवल दिखावे के तौर पर यह बात कही थी. अमर सिंह हर हाल में उसे पाना चाहता था. फरजाना के हावभाव से वह समझ चुका था कि फरजाना भी उसे पसंद करती है.
अमर सिंह को पता था कि रईस को शराब पीने की लत है. इसी का फायदा उठाने के लिए उस ने शाम को रईस के साथ ही शराब पीनी शुरू कर दी. फरजाना से नजदीकी बनाने के लिए वह रईस को ज्यादा शराब पिला कर धुत कर देता था.