'रौतू का राज’ फिल्म में मसूरी (उत्तराखंड) के छोटे से गांव रौतू की बेली की कहानी है. यहीं के दिव्यांग बच्चों के स्कूल सेवाधाम में वार्डन संगीता की हत्या हो जाती है. इंसपेक्टर दीपक नेगी को जांच का अनुभव न होने के कारण यह केस लगातार उलझता जाता है. फिर बाद में जो नतीजा निकलता है, वह इतना चौंकाने वाला होता है कि...
कलाकार: नवाजुद्ïदीन सिद्ïदीकी, राजेश कुमार, नारायणी शास्त्री, अतुल तिवारी, अनूप त्रिवेदी, विक्की दत्त, समृद्धि चंदोला, प्रथम राठौर, कैलाश कंडवाल, संदीप शर्मा, दृष्टि गावा, कृतिका पवार, अनिल रस्तोगी, परिमल आलोक, प्रीति सूद, रिया सिसौदिया.
लेखक: शरीक पटेल, आनंद सुरपुर, प्रोड्ïयूसर: उमेश के.आर. बंसल, आनंद, सुरपुर और चिंटू श्रीवास्तव
निर्देशक: आनंद सुरपुर,
रौतू का राज’ एक मर्डर मिस्ट्री फिल्म है. रौतू की बेली उत्तराखंड के एक हिल स्टेशन मसूरी का एक छोटा सा गांव है, जहां का पनीर काफी प्रसिद्ध है. यह एक काफी छोटा गांव है, जहां पर 650-700 लोग ही रहते हैं. पहाड़ों में कभी भी हत्या जैसे अपराध नहीं होते हैं, इस का कारण यह है कि लोग अपने कामधंधों में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन को लडऩेझगडऩे का समय ही नहीं है.
उत्तराखंड के इस गांव में चल रहे एक ब्लाइंड स्कूल में अचानक से एक महिला वार्डन की मौत हो जाती है. वार्डन की मौत शुरू में नैचुरल डेथ लगती है, लेकिन बाद में यह घटना पूरे इलाके में एक चर्चा का विषय बन जाती है. उस के बाद यह घटना नैचुरल डेथ और मर्डर के बीच में बुरी तरह से उलझ जाती है. इस केस का जांच अधिकारी दीपक नेगी इस गुत्थी को सुलझाने के लिए अपनी टीम के साथ निकल पड़ता है. मर्डर का शक ब्लाइंड स्कूल के ट्रस्टी पर भी जाता है. जांच करने के दौरान ही यह पता भी चलता है कि इस स्कूल से पायल नाम की एक लड़की भी मिसिंग है.