जोगेंद्र को सिगरेट पीने की आदत थी. उस के साथ रह कर ज्योति भी सिगरेट पीने लगी. एक दिन उस ने साथ बैठ कर शराब भी पी ली थी. उस के बाद तो दोनों बातचीत करने में काफी खुल गए. एकदूसरे की तारीफ भी करने लगे.
जोगेंद्र से हो गए अवैध संबंध
धीरेधीरे 4 महीने बीत गए. जोगेंद्र रोजाना ज्योति को साथ ले कर जाने लगा. ज्योति के घर से जाने के बाद प्रदीप पर तीनों बच्चों की जिम्मेदारी आ गई. वह ईरिक्शा चलाने के साथसाथ बच्चों की देखभाल करने लगा.
धीरेधीरे प्रदीप की दिनचर्या ही बदल गई. बच्चों की देखभाल और घरेलू कामकाज बढ़ने से रिक्शे की फेरी में कमी आ गई. जिस से आमदनी भी कम होने लगी. कामधंधा चौपट होने के कारण प्रदीप तनाव में रहने लगा. तीनों बच्चों की जिम्मेदारी संभालना प्रदीप को पहाड़ के समान लगने लगा.
इसे ले कर उस ने ज्योति से कहा, लेकिन उस ने साफ लहजे में कह दिया कि वह कंपनी में काम करना बंद नहीं करेगी. उस ने जोगेंद्र से भी बात की और ज्योति को अपने बच्चों पर भी ध्यान देने के लिए कहा. किंतु उस से भी प्रदीप को खरा जवाब ही सुनने को मिला.
दरअसल, ज्योति और जोगेंद्र के बीच नजदीकियां इतनी बढ़ गई थीं कि वे अब एकदूसरे के बगैर नहीं रह सकते थे. अविवाहित जोगेंद्र को शराब के साथसाथ स्त्री सुख भी मिल रहा था. ज्योति की भी तमाम इच्छाएं पूरी हो रही थीं, जो प्रदीप से पूरी होनी संभव नहीं थीं.
प्रदीप को यही बात खटकती रहती थी, लेकिन वह उन का विरोध नहीं कर रहा था. प्रदीप के जीवन में जोगेंद्र ने जहर घोल दिया था. कहने को तो ज्योति उस की बीवी थी, लेकिन कहना जोगेंद्र का मानती थी. ज्योति का ध्यान पति समेत अपने बच्चों से भी हट चुका था, जिस से प्रदीप का जीवन नीरस बन गया था.