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सर्विलांस से पकड़े गए लक्ष्मण के हत्यारे

पुलिस का पहला काम लक्ष्मण का सिर ढूंढना था. अपने स्तर से वह सिर तलाश रही थी. पीडि़त परिवार के दबाव में पुलिस बबलू को जब थाने बुलाती, कोई न कोई राजनैतिक रसूख वाला उस की हिमायत में थाने पहुंच जाता. पुलिस ने उस से सख्ती से भी पूछताछ की, पर रोरो कर वह खुद को निर्दोष बताता रहा.

इस के बाद उसे इस हिदायत के साथ छोड़ दिया गया कि वह गांव में ही रहेगा और जब भी जरूरत पड़ेगी, उसे थाने आना पड़ेगा. बबलू ने पूरे गांव व पुलिस से कहा था, ‘‘अगर लक्ष्मण की हत्या में मेरा हाथ पाया जाए तो मुझे सरेआम फांसी पर लटका देना. यह बात सभी जानते हैं कि मैं ने इस परिवार की कितनी मदद की है.’’

पुलिस ने बबलू का फोन सर्विलांस पर लगा रखा था. पिछले एक महीने में उस ने जिनजिन नंबरों पर बात की थी, वे सभी सर्विलांस पर थे. जांच में पता चला कि घटना से पहले बबलू के मोबाइल पर छंगा उर्फ अकबर, निवासी इमरतपुर ऊधौ, थाना मैनाठेर से बात हुई थी. पुलिस ने मुखबिर के द्वारा छंगा के बारे में पता कराया तो जानकारी मिली कि वह घर पर नहीं है.

इस हत्याकांड को 27 दिन हो चुके थे, परंतु लक्ष्मण का सिर नहीं मिला था. पुलिस की हिदायत की वजह से बबलू सतर्क था. वह कहीं आताजाता भी नहीं था.

6 अक्तूबर, 2017 को बबलू ने किसी से फोन पर कहा कि वह गांव शिमलाठेर के बाहर अमरूद के बगीचे में आ जाए, वहीं बात करेंगे. यह बात सर्विलांस टीम को पता चल गई. थानाप्रभारी ने मुखबिर से गांव के बाहर की अमरूद की बाग के बारे में पूछा और उस पर नजर रखने को कहा.

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