पिछले कुछ दिनों में देश की राजधानी दिल्ली ही नहीं, बल्कि सभी बड़े शहरों में क्राइम का ग्राफ बढ़ा है. आश्चर्य की बात यह है कि अब नई उम्र के लड़के भी लूटपाट, रंगदारी और गुंडा टैक्स वसूलने लगे हैं. आखिर इस की वजह क्या है, बेरोजगारी या परिवार से मिलने वाले संस्कार पिछले एक दशक से देखने में आ रहा है कि कई जघन्य वारदातों में नाबालिगों के नाम शामिल होते हैं.

इस की वजह मामूली पढ़ाईलिखाई, बेरोजगारी तो है ही, लेकिन उस से भी बड़ी वजह यह है कि नाबालिगों के मुकदमे बाल न्यायालय में चलते हैं और उन्हें कम सजा दी जाती है, जो 2-3 साल से ज्यादा नहीं होती.

दिसंबर, 2012 में दिल्ली में हुए देश के सब से चर्चित सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों में एक नाबालिग भी था. उसी ने निर्भया के साथ सब से ज्यादा बर्बरता, सच कहें तो इंतहा की आखिरी हद तक दरिंदगी की थी. लेकिन नाबालिग होने की वजह से वह मामूली सजा भोग कर जेल से बाहर आ गया और हालफिलहाल नाम बदल कर दक्षिण भारत में कुक की नौकरी कर रहा है.

5 साल पहले मेरठ में भी एक नाबालिग ने पारिवारिक रंजिश के चलते एक व्यक्ति को दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया था, जो अब छूट चुका है. ऐसे और भी तमाम मामले हैं. 13 जून, 2019 को दिल्ली के रोहिणी में हुई प्रौपर्टी डीलर अमित कोचर की हत्या में भी एक आरोपी नाबालिग है, जिसे शार्पशूटर बताया जा रहा है. पुलिस के अनुसार अमित कोचर से एक करोड़ रुपए की सुपारी मांगी गई थी, जो उन्होंने नहीं दी. इसी के फलस्वरूप उन की हत्या कर दी गई.

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