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इस बार भी ठंड आते ही जब सभी लोग अपनेअपने कमरों में सोने लगे तो रुचि शेर सिंह को रात में अपने घर बुलाने लगी. 11 नवंबर, 2013 की रात को भी जब रुचि को लगा कि घर के सभी लोग सो गए हैं तो उस ने फोन कर के शेर सिंह को आने के लिए कह दिया. गांवों में ज्यादातर लोग शाम को जल्दी खा कर सो जाते हैं. इसलिए गांवों में रात 10 बजे तक सन्नाटा पसर जाता है.

गांव में सन्नाटा पसरते ही शेर सिंह अशोक सिंह के घर पहुंच गया. रुचि उस का इंतजार कर ही रही थी इसलिए उस के छत पर आते ही उस ने साड़ी फेंक दी. शेर सिंह रेलिंग में साड़ी बांध कर आंगन में उतरा और रुचि के साथ उस के कमरे में चला गया.

रुचि और शेर सिंह कपड़े उतार कर शारीरिक संबंध के तैयार ही हुए थे कि उन्हें आंगन में किसी की पदपाप सुनाई दी. उन्हें लगा कि कोई लघुशंका के लिए उठा होगा. वे सांस रोक कर उस के वापस कमरे में जाने का इंतजार करने लगे. लेकिन तब दोनों सहम उठे, जब अशोक सिंह की आवाज उन के कानों में पड़ी. वह अपने दोनों बेटों, सचिन और विपिन को आवाज दे कर बाहर आने के लिए कह रहे थे.

सचिन और विपिन के बाहर आते ही अशोक सिंह ने रुचि को आवाज दे कर कमरे का दरवाजा खोलने को कहा. अब रुचि और शेर सिंह को समझते देर नहीं लगी कि उन्हें शेर सिंह के कमरे में होने की शंका हो गई है. रुचि और शेर सिंह जिस स्थिति में थे, उस स्थिति में दरवाजा नहीं खोल सकते थे. दोनों ने जल्दीजल्दी कपड़े पहनने लगे. दरवाजा नहीं खुला तो अशोक सिंह ने दरवाजे पर जोर से लात मार कर एक बार फिर रुचि को दरवाजा खोलने को कहा.

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