कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मनमोहन दास जिला कामरूप मेट्रो, असम के रहने वाले थे. उन के 2 बेटे थे. बड़ा तपन और छोटा उत्तम. उत्तम ने रूपा से लवमैरिज की थी. रूपा उन महिलाओं की तरह थी, जो कभी एक मर्द के पल्ले से बंध कर नहीं रहतीं.

उत्तम से लव मैरिज के बाद रूपा को अहसास हुआ कि उस ने गलत और ठंडे व्यक्ति से शादी की है. रूपा चाहती थी कि उसे पति रात भर बांहों में भर कर मथता रहे. मगर उत्तम में इतना दमखम नहीं था.

ऐसे में जब कई महीनों तक भी रूपा के बदन की आग मंद नहीं पड़ी तब उस के कदम बहक गए. उस ने घर में ही अपने जेठ तपन दास पर ध्यान देना शुरू कर दिया. तपन उस से उम्र में 10 साल बड़ा था, मगर वह था गबरू. हृष्टपुष्ट तपन ने छोटे भाई की पत्नी रूपा को अपनी तरफ ताकते व मूक आमंत्रण देते देखा तो वह आशय समझ गया.

एक रोज घर में जब कोई नहीं था तो तपन ने रूपा को अपनी मजबूत बांहों में भर लिया. रूपा ने कुछ प्रतिक्रिया नहीं की, तो तपन का हौसला बढ़ गया. वह उसे बिस्तर पर ले गया. तब दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं.

वैसे तो रूपा तपन की बहू लगती थी. मगर उन दोनों ने जेठ बहू के रिश्ते को कलंकित कर के एक नया रिश्ता बना लिया था, अवैध संबंधों का रिश्ता. एक बार दोनों के बीच की मर्यादा रेखा टूटी तो वे अकसर मौका निकाल कर हसरतें पूरी करते रहे.

तपन उदयपुर, राजस्थान स्थित एक कंपनी में नौकरी करता था. वह छुट्टी पर घर आता तो रूपा के इर्दगिर्द ही मंडराता रहता था. दोनों एकदूसरे से खुश थे. मगर कभीकभार उन का मन होने पर भी उत्तम के होने की वजह से संबंध नहीं बना पाते थे. ऐसे में उन्हें उत्तम राह का कांटा दिखने लगा.

उत्तम दास वहीं कामरूप में ही काम करता था. कई साल तक रूपा और तपन के बीच यह खेल चोरीछिपे चलता रहा. घरपरिवार में किसी को भनक तक नहीं लगी थी.

तपन की उम्र 50 वर्ष की हो गई थी फिर भी वह बिस्तर का अच्छा खिलाड़ी था. रूपा ने तय कर लिया कि वह उत्तम को रास्ते से हटवा कर उस की पैतृक संपत्ति एवं इंश्योरेंस के पैसे से तपन के साथ ताउम्र मौज करेगी.

उस ने अपनी योजना प्रेमी जेठ तपन को बताई तो वह बहुत खुश हुआ. वह भी यही चाहता था. सन 2020 में कोरोना के कारण कामधंधा बंद हो गया था. तपन उदयपुर से अपने घर कामरूप लौट आया.

जब कामधंधा शुरू होने वाला था तब तपन ने अपने भाई उत्तम से कहा, ‘‘उत्तम, यहां काम नहीं है. मैं ने तेरे लिए उदयपुर स्थित अपनी कंपनी में बात की है. तुम वहां जा कर साइट देख लो. पसंद आए तो वहीं काम करना.’’

उत्तम को बड़े भाई की बात बात जंच गई. वह अगले दिन ही उदयपुर के लिए निकल पड़ा. तपन ने इस से पहले रूपा के साथ मिल कर उत्तम की कहानी खत्म करने की योजना बना ली थी.

रूपा ने तपन को साढ़े 12 लाख रुपए दे कर कहा था कि पति जिंदा नहीं लौटना चाहिए. तपन अपने भाई से मोबाइल के जरिए कांटैक्ट में रहा. तपन ने उदयपुर में अपनी पहचान के राकेश लोहार को फोन कर के कहा, ‘‘एक आदमी जयपुर आ रहा है. उसे गाड़ी में ले जा कर उस का काम तमाम कर देना. तुम्हें साढ़े 12 लाख रुपए दे दूंगा.’’

‘‘ठीक है तपन भाई. उस का मोबाइल नंबर दे दो. मैं मिलता हूं और उस का खेल खत्म कर दूंगा.’’ राकेश लोहार ने भरोसा दिया.

राकेश लोहार ने उत्तम का मोबाइल नंबर ले लिया. राकेश ने अपने 4 साथियों सुरेंद्र, संजय, अजय व जयवर्द्धन को पूरी बात बता कर कहा कि एक दिन में 2-2 लाख रुपए मिलेंगे. राकेश ने खुद साढ़े 4 लाख रुपए रखे.

सब दोस्त गाड़ी ले कर जयपुर पहुंच गए. मोबाइल पर उत्तम से संपर्क कर उसे गाड़ी में बिठा लिया. उधर तपन भी असम से फ्लाइट पकड़ कर उदयपुर आ गया. ये लोग जयपुर से उदयपुर तक मौका नहीं मिलने के कारण उत्तम को मार नहीं सके. ये लोग उदयपुर आ गए. उन से तपन भी आ मिला. इस के बाद शराब में नींद की गोलियां डाल कर उत्तम को रास्ते में ही पिला कर नींद की आगोश में पहुंचा दिया.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...