पूछताछ में उस आदमी ने अपना नाम महेश बताया. वह अनुराधा के पति प्रशांत सूर्यवंशी रंगोजी का दोस्त था. प्रशांत ने ही उसे अनुराधा का बकाया वेतन लेने के लिए वहां भेजा था. पुलिस को उस से प्रशांत का पता और फोन नंबर मिल गया. लेकिन जब पुलिस महेश को ले कर प्रशांत के घर पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला.
दरअसल, प्रशांत को महेश के पकड़े जाने की जानकारी हो गई थी. वह समझ गया कि अब पुलिस उसे भी पकड़ लेगी. इसलिए वह पुलिस से बचने का रास्ता खोजने लगा. उस का एक रिश्तेदार ट्रक चलाता था. वह ट्रक ले कर अन्य शहरों में आताजाता रहता था. प्रशांत अपने उसी रिश्तेदार के यहां पहुंचा तो उसे पता चला कि उस का वह रिश्तेदार ट्रक ले कर गुजरात के बड़ौदा शहर जा रहा है.
पुलिस से बचने के लिए प्रशांत घूमने के बहाने उस के ट्रक पर सवार हो गया और उस के साथ बड़ौदा चला गया. इंसपेक्टर विलास सोड़े ने महेश रंगोजी को साथ ले कर प्रशांत की तलाश शुरू की तो उन्हें रिश्तेदार के साथ ट्रक पर उस के बड़ौदा जाने की जानकारी मिल गई.
पता करते हुए विलास सोड़े उस ट्रांसपोर्ट कंपनी पहुंच गए, जिस ट्रांसपोर्ट कंपनी का वह ट्रक था. वहां से उन्हें पता चला कि जिस ट्रक से प्रशांत बड़ौदा जा रहा है, वह ट्रक नासिक से आगे निकल चुका है. पुलिस ट्रक का नंबर और वहां का पता ले कर चल पड़ी, जहां बड़ौदा में उस ट्रक को माल पहुंचाना था. 6 जुलाई को बड़ौदा में जब ट्रक से माल उतारा जा रहा था, तभी इंसपेक्टर विलास सोड़े अपने सहायकों के साथ वहां पहुंच गए और प्रशांत सूर्यवंशी को गिरफ्तार कर लिया.