21 मार्च, 2023 को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम (पुराना नाम होशंगाबाद) जिले के सोहागपुर कोर्ट में सुबह से ही ज्यादा गहमागहमी थी. कोर्ट परिसर में भारी पुलिस बल तैनात था. मीडिया और वकीलों के अलावा लोगों की भीड़ भी ज्यादा दिखाई दे रही थी. दरअसल, इस दिन जिले के बहुचर्चित लीना शर्मा मर्डर केस का फैसला आने वाला था. फैसले के लिए अपराह्नï 3 बजे का वक्त मुकर्रर किया गया था.
सोहागपुर के द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश संतोष सैनी की अदालत में दोनों पक्षों से जुड़े लोग बेसब्री से जज साहब के आने का इंतजार कर रहे थे. कोर्ट लीना शर्मा की हत्या के आरोपी प्रदीप शर्मा, गोरेलाल और राजेंद्र भी कोर्ट रूम में अपने वकील के साथ उपस्थित थे. लीना शर्मा की तरफ से पैरवी कर रहे अपर लोक अभियोजक शंकरलाल मालवीय भी कोर्ट में पूरी तैयारी के साथ मौजूद थे.
जज साहब पर जम गईं निगाहें...
कोर्ट की घड़ी में जैसे ही दोपहर 3 बजे का अलार्म बजा तो सभी चौकन्ने हो गए. कुछ ही क्षणों में मजिस्ट्रैट संतोष सैनी ने कोर्ट रूम में प्रवेश किया तो सभी अपनेअपने स्थान पर खड़े हो गए. मजिस्ट्रैट ने सभी को अपने स्थान पर बैठने का निर्देश दिया और अपनी नजरें डाइस पर रखे कागजों पर केंद्रित कर ली.
“आर्डर...आर्डर...’’
जैसे ही अपर सत्र न्यायाधीश संतोष सैनी ने लकड़ी के हथौड़े को मेज पर ठोका तो सभी की निगाहें उन की तरफ केंद्रित हो गईं. जज साहब ने अपना फैसला पढऩा शुरू कर दिया—
“तमाम गवाहों और सबूतों के मद्देनजर यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि मृतका लीना के मामा प्रदीप शर्मा ने अपनी भांजी की जमीन हड़पने के लिए अपने घरेलू नौकरों के साथ मिल कर उस की हत्या की थी. लीना शर्मा की हत्या का दोषी पाते हुए हत्या एवं षडयंत्र की धारा 302 में प्रदीप शर्मा पुत्र जुगल किशोर शर्मा (63 वर्ष) निवासी डूडादेह सोहागपुर को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास एवं 10 हजार रुपए जुरमाने की सजा सुनाती है. इस के साथ ही आईपीसी की धारा 201 (लाश छिपाने) में 7 वर्ष की सजा एवं 5 हजार रुपए जुर्माना, आईपीसी की धारा 404 (मृत व्यक्ति की संपत्ति काबेईमानी से गबन) में 3 वर्ष की सजा एवं 5 हजार रुपए के जुरमाने से दंडित करती है.