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कल्लू ने बच्ची को गोद में उठा लिया. उसे पुचकारने लगा. तब तक पूनम उस के लिए बोतल में थोड़ा दूध भर लाई. किलकारी मारती बच्ची को कल्लू की गोद से ले कर दूध के बोतल की निप्पल उस के मुंह में लगा दी.

कल्लू और पूनम थोड़ी देर बाद कमरा देख कर लौट आए. कमरा 4 मकान के बाद ही था. कल्लू ने उस के वहां रहने का इंतजाम कर दिया. कुछ जरूरत के बरतन भी दे दिए. एक एक्सट्रा स्टोव को ठीक करवा कर उसे दे दिया. बाजार से पानी रखने के लिए बाल्टी का इंतजाम कर दिया. किराए का कुछ पैसा एडवांस भी दे दिया.

पूनम ने नए घर में पहली बार अकेले में रात गुजारी. पति की याद भी आती रही. अगले रोज सुबहसुबह कल्लू उस के कमरे पर आया और हालसमाचार लिया. पूनम ने पति के बारे में पता करने की उस से मिन्नत की.

कल्लू बोला कि उस में थोड़ा समय लगेगा. तब तक उस ने उस के लिए घरेलू नौकरानी का काम दिलवा दिया. उसे एक परिवार में बच्चा संभालने और बरतन मांजने का काम मिल गया. इस तरह से पूनम की मासिक आमदनी का रास्ता भी बन गया.

पूनम कल्लू द्वारा किए गए सहयोग से बहुत प्रभावित हो गई थी. कल्लू हरसंभव उस की मदद को तत्पर रहता था, सिर्फ उस के पति सुखदेव की खोज में सफल नहीं हो रहा था.

सप्ताह में एक दिन छुट्टी ले कर गजियाबाद की फैक्ट्रियों में चक्कर लगाता था. वहां काम करने वालों से पूछता था, लेकिन उस का पता नहीं चल पा रहा था. इस तरह करीब 3 महीने बीत गए थे.

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