बापबेटे में लंबे वक्त से मनमुटाव, झगड़े और संपत्ति को ले कर विवाद होता रहता था. रावतमल जैन ने इस का हल यह निकाला कि उन्होंने संदीप को अब रुपए देने बंद कर दिए. पैसे न मिलने से संदीप तिलमिला गया. वह साड़ी की दुकान चला रहा था, लेकिन उस से इतनी आमदनी नहीं होती थी कि वह अपनी जरूरतें पूरी कर सके. वह तनाव में रहने लगा.
संदीप पिता को समझने लगा दुश्मन
इस का असर यह हुआ कि वह पिता को अपना सब से बड़ा दुश्मन मानने लगा. एकांत में वह यही सोचता था, ‘यदि उस के पिता जिंदा रहेंगे तो वह पैसेपैसे को मोहताज हो जाएगा. उसे अपने पिता की पूरी संपत्ति का मालिक बनना है तो पिता को रास्ते से हटाना ही होगा.’
यह बात उस के दिमाग में बैठ गई. अब वह अपने पिता को रास्ते से हटाने के लिए तरहतरह की योजनाएं बनाने लगा.
अंत में उस ने ठोस योजना बना कर हत्या करने के लिए रिवौल्वर की तलाश शुरू कर दी. किसी से मालूम हुआ कि देशी कट्टे, पिस्तौल बेचने वाला भगत सिंह गुरुदत्ता है. संदीप भगत से जा कर मिला. गुरुदत्ता अग्रसेन चौक, दुर्ग में ही रहता था. संदीप ने उस से एक लाख 35 हजार रुपए में देशी रिवौल्वर और कारतूस खरीद लिए.
योजनानुसार संदीप ने अपनी पत्नी संतोष कुमारी को बेटे के साथ 27 दिसंबर, 2017 को अपनी ससुराल दल्ली राजहरा, जिला बालोद भेज दिया. संदीप ने 31 दिसंबर की रात को ही चौकीदार रोहित देशमुख को घर से जाने के लिए कह दिया. चौकीदार रात को उन के घर की चौकसी करता था. संदीप ने उस से कहा कि उस की मां और पिताजी कहीं रिश्तेदारी में 2 दिन के लिए जा रहे हैं, वह खुद ही घर की देखभाल कर लेगा. चौकीदार रोहित के जाने के बाद संदीप के लिए रास्ता साफ था.