रिमांड के दौरान पूछताछ में गिरीश ने जो बताया, वह एक शराबी पति की हैवानियत की कहानी थी. गिरीश ने बड़ी ही होशियारी से अमीर घर की मधुमती को धोखे में रख विवाह किया.
इस के बाद वह उस की दौलत को शराब और अय्याशी में लुटाने लगा. जब उस ने मना किया तो उस के साथ मारपीट करने लगा. जब वह उस से संबंध तोड़ कर फ्रांस में रह रही अपनी नानी के यहां जाने की तैयारी करने लगी तो उस ने उस की हत्या कर दी. वह उस के शव को समुद्र में फेंक कर मछलियों को खिला देना चाहता था. लेकिन उस के पहले ही वह पकड़ा गया.
श्रीरंग पोटे सीधेसादे, उच्च विचार के महाराष्ट्री ब्राह्मण थे. वह महानगर मुंबई के उपनगर माहीम में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा एकलौता बेटा गिरीश था. एकलौता होने की वजह से गिरीश मातापिता का कुछ ज्यादा ही लाडला था. शायद यही वजह थी कि वह जिद्दी और उद्दंड हो गया.
श्रीरंग पोटे ने गिरीश को बुढ़ापे का सहारा मान कर उस की हर इच्छा पूरी की थी. उसे किसी भी चीज का अभाव नहीं होने दिया था. मगर जैसे जैसे गिरीश बड़ा होता गया, उन की आशाएं धूमिल होती गईं, क्योंकि गिरीश वैसा नहीं बन सका, जैसा उन्हें और उन की पत्नी को उम्मीद थी. उस की आदतें बिगड़ती चली गईं और वह अक्खड़ और जिद्दी बन गया. श्रीरंग पोटे के काफी प्रयास के बाद भी वह किसी काबिल नहीं बन सका.
गिरीश दिन भर अपने आवारा दोस्तों के साथ घूमताफिरता और राह चलती लड़कियों को छेड़ता. खर्च के लिए वह मां से लड़झगड़ कर पैसे ले ही लेता था. आवारा दोस्तों के साथ रहते हुए वह शराब भी पीने लगा था. बेटे की इन हरकतों से श्रीरंग पोटे और उन की पत्नी परेशान रहती थीं. लेकिन अब उन के वश में कुछ भी नहीं था क्योंकि वे बेटे को सुधारने की हर कोशिश कर के हार चुके थे.