उत्तर प्रदेश के मैनपुरी शहर में एक बड़ी आबादी वाला मोहल्ला है पुरोहिताना. यह कोतवाली थाना अंतर्गत आता है. इसी मोहल्ले में गुड्डू खटीक अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी विनीता के अलावा एक बेटा करन तथा बेटी कोमल थी.
सरस्वती बालिका इंटर कालेज से हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद वह आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से मांबाप ने इजाजत नहीं दी.
कोमल के घर से 2 घर बाद 25 वर्षीय करन गोस्वामी का घर था. वह अपनी मां पिंकी तथा भाई रौकी के साथ रहता था. उस के पिता प्रेमपाल की मौत हो चुकी थी. करन प्राइवेट नौकरी करता था और ठाठबाट से रहता था.
पड़ोसी होने के नाते कोमल के भाई करन खटीक व करन गोस्वामी में दोस्ती थी. दोनों साथ उठतेबैठते और बोलतेबतियाते थे. करन गोस्वामी का दोस्त के घर आनाजाना लगा रहता था. करन गोस्वामी जब भी करन खटीक के घर जाता, उस की मुलाकात कोमल से भी होती थी. कभीकभार उस से बातचीत भी हो जाती थी.
बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा तो उन के दिलों में प्यार पनपने लगा. करन की आंखों के रास्ते कोमल उस के दिल में समा चुकी थी.
कोमल बनसंवर कर घर से निकलती थी. करन तिरछी नजरों से उसे रोज देखा करता था. उस की नजरों से ही पता चलता था कि वह उसे चाहता है. करन का तिरछी नजरों से निहारना कोमल को अच्छा लगता था. करन के प्यार का एहसास कोमल के दिल को छू गया था.