अपने वक्त के जमीनी, धाकड़ और लोकप्रिय कांग्रेसी नेता एन.डी. तिवारी का अपना अलग कद था और अलग साख थी. उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे इस कद्दावर नेता की कांग्रेसी आलाकमान कभी अनदेखी नहीं कर सका. वे केंद्रीय मंत्री भी रहे और राजनैतिक कैरियर के उत्तरार्द्ध में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल भी बनाए गए थे.
ब्राह्मण समुदाय में खासी पैठ रखने वाले एन.डी. तिवारी की गिनती रंगीनमिजाज और विलासी नेताओं में भी होती थी. इस की एक उजागर मिसाल था उन का जैविक बेटा रोहित शेखर, जिस की हत्या 28 अप्रैल को अपने ही घर में हो गई थी. हत्या करने वाली भी उस की अपनी पत्नी अपूर्वा शुक्ला थी.
इस हाइप्रोफाइल हत्याकांड में कोई खास पेंचोखम नहीं हैं, लेकिन रोहित की कहानी फिल्मों से भी परे अकल्पनीय है. खासे गुलाबी रंगत वाले इस युवा के नैननक्श पहाड़ी इलाकों में रहने वाले युवाओं सरीखे ही थे. क्योंकि उस की पैदाइश और परवरिश भी वहीं की थी.
साल 2007 तक रोहित को नहीं मालूम था कि वह कोई ऐरागेरा नहीं बल्कि एन.डी. तिवारी जैसी सियासी शख्सियत का खून है. रोहित शेखर को जब अपनी मां से पता चला कि वह नारायण दत्त तिवारी का बेटा है तो उस ने विकट का दुस्साहस दिखाते हुए उन पर अपने बेटे होने का दावा कर डाला.
रोहित की मां उज्ज्वला शर्मा कभी एन.डी. तिवारी की प्रेमिका हुआ करती थीं. जिन्होंने तनमन से खुद को उन्हें सौंप दिया था. इस प्यार या अभिसार, कुछ भी कह लें, की देन था रोहित शेखर जिसे कोर्ट के आदेश के बाद ही एन.डी. तिवारी ने बेटा माना.