इस बीच, बनवारीलाल कुशवाह ने सन 2013 के आखिर में हुए राजस्थान की 14वीं विधानसभा के चुनाव में धौलपुर सीट से बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल कर दिया. कहते हैं कि चिटफंड कंपनियों से मोटा पैसा कमाने और छोटे भाई बालकिशन की ससुराल राजनीतिक परिवार में होने के कारण बनवारीलाल कुशवाह की राजनीति में आने की इच्छा थी.
बनवारीलाल कुशवाह ने अपने संपर्कों के बल पर बसपा का टिकट हासिल कर लिया. राजस्थान में उस समय जनता महंगाई जैसे कारणों को ले कर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की सरकार बदलना चाहती थी. इसलिए भाजपा के पक्ष में लहर चल निकली. भाजपा की लहर के बावजूद धौलपुर से बसपा के टिकट पर बनवारीलाल कुशवाह विधायक चुन लिए गए.
विधानसभा चुनाव के दौरान बनवारीलाल कुशवाह द्वारा भरे गए नामांकन पत्र के साथ 8 नवंबर, 2013 को नोटरी से सत्यापित शपथपत्र में उन्होंने खुद की वार्षिक आय 1 करोड़ 47 लाख 64 हजार 130 रुपए बताई, जबकि पत्नी शोभारानी की वार्षिक आय 38 लाख 55 हजार 750 रुपए बताई. शपथपत्र में बनवारीलाल ने खुद की ओर से 18 कंपनियों में 12 करोड़ 55 लाख रुपए एवं पत्नी शोभारानी की ओर से 15 कंपनियों में 2 करोड़ 85 लाख रुपए का निवेश बताया गया. शपथपत्र में कुशवाह ने धौलपुर के गांव जमालपुर में 3.83 एकड़ जमीन, दलेलपुर में 0.63 एकड़ जमीन और धौलपुर में 20,664 वर्गफुट गैर कृषि भूमि होना बताया. इस के अलावा उन्होंने दिल्ली एवं ग्वालियर में अपनी संपत्तियां होने की बात भी कही थी.
विधायक चुने जाने के बाद बनवारीलाल कुशवाह पर विधानसभा चुनाव में गलत शपथपत्र पेश करने के आरोप भी लगे. इस संबंध में कई लोगों की ओर से अलगअलग अधिकारियों को ज्ञापन भी दिए गए. ज्ञापन में आरोप लगाए थे कि बनवारीलाल कुशवाह मध्य प्रदेश में चिटफंड धोखाधड़ी मामले में आरोपी हैं. बनवारीलाल कुशवाह भले ही धौलपुर से विधायक चुने गए, लेकिन वे गिरफ्तारी के डर से राजस्थान विधानसभा के पहले सत्र में तय समय पर शपथ लेने नहीं पहुंचे.