‘‘आज तुम्हारे साथ निक्की नजर नहीं आ रही है, जो रोज तुम्हारे साथ ही बस में दिखलाई देती थी.’’ उस लड़की ने पूछा.
‘‘तुम जानती हो निक्की को?’’ साहिल ने उतावलेपन से पूछा.
‘‘जानती हूं, मैं उस की सहेली हूं.’’
‘‘अरे वाह!’’ साहिल खुश हो कर बोला, ‘‘आज मैं तुम से ही निक्की के बारे में सब जान लूंगा.’’
युवती मुसकराई, ‘‘क्यों, क्या निक्की तुम्हें पसंद आ गई है?’’
‘‘बहुत ज्यादा.’’ साहिल ठंडी सांस भर कर बोला, ‘‘निक्की कौन है, कहां से आती है, मैं सब जानना चाहता हूं.’’
‘‘तो फिर निक्की से क्यों नहीं पूछ लेते?’’
‘‘डरता हूं यार, अगर उस का मिजाज गरम हुआ तो आंखें सेंकने का जो मौका रोज मिल रहा है, वह कहीं हाथ से चला न जाए.’’
‘‘नहीं जाएगा.’’ वह युवती हंस कर बोली, ‘‘लो पूछ लो, निक्की से जो पूछना चाहते हो.’’ कहने के बाद उस लड़की ने चेहरे से दुपट्टा हटा दिया.
साहिल चौंक पड़ा. दुपट्टे के पीछे खुद निक्की ही थी, वह मंदमंद मुसकरा रही थी. साहिल उसे देख कर बगलें झांकने लगा था.
‘‘पूछो न,’’ निक्की ने शरारत की, ‘‘अब सिट्टीपिट्टी क्यों गुम हो गई? तुम आज चेहरा छिपा कर बस में आई हो निक्की, तुम्हें बस में न देख कर मेरी आधी जान निकल गई थी.’’ साहिल ने ठंडी सांस भर कर कहा.
‘‘मैं रोज तुम्हें ताड़ रही थी. तुम चोरीचोरी मुझे देखते रहते थे, तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार है या तुम यूं ही आंखें सेंकते रहते हो, यही जानने के लिए मैं ने आज चेहरा ढंका था. मैं देख रही थी, मुझे बस में न देख कर तुम परेशान और उदास हो गए हो.’’