शादीशुदा आदमी जब किसी अन्य लड़की या औरत के प्यार में पड़ता है तो उसे सब कुछ अच्छाअच्छा लगता है, लेकिन वह भूल जाता है कि इस सब का खामियाजा उसे उठाना पड़ेगा तो क्या होगा. संतोष के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. उत्तर प्रदेश के जिला वाराणसी के रहने वाले भालचंद्र सरोज अपने परिवार के साथ महानगर मुंबई के तालुका वसई के उपनगर नालासोपारा की साईं अपर्णा बिल्डिंग में लगभग 30 सालों से रह रहे थे. अपनी रोजीरोटी के लिए उन्होंने उसी बिल्डिंग के परिसर में किराने की दुकान खोल ली थी.
परिवार में उन की पत्नी के अलावा एक बेटा संतोष सरोज था, जिस की शादी उन्होंने मालती नाम की लड़की से कर दी थी. संतोष की एक बेटी थी अंजलि. भालचंद्र सरोज का एक छोटा सा परिवार था, उन का जीवन हंसीखुशी के साथ व्यतीत हो रहा था. संतोष 10वीं जमात से आगे नहीं पढ़ सका था, इसलिए भालचंद्र ने उसे एक आटोरिक्शा खरीदवा दिया था. किराने की दुकान और आटो से जो कमाई होती थी, उस से उन की घरगृहस्थी आराम से चल रही थी.
अंजलि अपने मातापिता के अलावा दादादादी की भी लाडली थी. संतोष भले ही खुद नहीं पढ़लिख सका था, लेकिन बेटी को उच्चशिक्षा दिलाना चाहता था. इसीलिए उस ने अंजलि का दाखिला जानेमाने लोकमान्य तिलक इंगलिश स्कूल में करवा दिया था. परिवार में सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. इसी दौरान एक ऐसी घटना घटी, जिस का दुख यह परिवार जिंदगी भर नहीं भुला सकेगा. बात 24 मार्च, 2018 की है. संतोष सरोज की 5 वर्षीय बेटी अंजलि हमेशा की तरह उस शाम 7 बजे बच्चों के साथ खेलने के लिए बिल्डिंग से नीचे आई तो फिर वह वापस नहीं लौटी. वह बच्चों के साथ कुछ देर तक तो अपने दादा भालचंद्र सरोज की दुकान के सामने खेलती रही. फिर वहां से खेलतेखेलते कहां गायब हो गई, किसी को पता नहीं चला.