सन 2009 में सोनू की पहली शादी जावरा रोड निवासी नगमा नाम की युवती से हुई थी, जो उम्र में सोनू से बड़ी थी. मगर ज्यादा दिनों तक उस के साथ सोनू की नहीं निभी.
2012 से दोनों का कोर्ट में तलाक का केस चला तो कोर्ट ने सोनू को 1500 रुपए महीना भरणपोषण भत्ता देने का आदेश दिया था. इसी बात को ले कर सोनू परेशान रहने लगा. उसे नगमा को ये पैसा देना बहुत अखरता था.
नगमा से तलाक न मिल पाने की वजह से अपने बच्चों को पिता का नाम नहीं दे पा रहा था. इसलिए नगमा के प्रति सोनू के मन में नफरत इस कदर घुल चुकी थी कि वह नगमा को मारने की ठान चुका था, मगर उसे मौका नहीं मिला.
सोनू और निशा भले ही 2014 से लिवइन में रह कर पतिपत्नी की तरह जिंदगी गुजार रहे थे, परंतु दोनों के पास शादी के कोई वैधानिक दस्तावेज नहीं थे. पहली पत्नी नगमा से सोनू का तलाक न होने की वजह से उस की निशा से कोर्टमैरिज भी नहीं हो पाई थी.
धीरेधीरे जब उन के बच्चे बड़े होने लगे तो निशा इस बात को ले कर परेशान रहने लगी. बच्चों को पिता का नाम नहीं मिल रहा था, इस वजह से नगर निगम के कागजों में बच्चों के नाम नहीं जुड़ पा रहे थे और न ही स्कूल में उन के बच्चों के एडमिशन हो रहे थे.
पुलिस की जांच में सामने आया है कि कुछ महीनों से निशा और सोनू के बीच झगड़ा हो रहा था. झगड़े की वजह सोनू की अय्याशी भी थी. सोनू निशा के अलावा किसी दूसरी महिला से रिलेशनशिप में था, इस बात को ले कर निशा उसे भलाबुरा कहती थी. निशा उसे बच्चों का वास्ता दे कर समझाती थी.