समय के साथ श्यामा की बेटियां साल दर साल बड़ी होती गईं. सन 2015 में एक बार फिर श्यामा के जीवन में ग्रहण लगना शुरू हो गया. इस ग्रहण ने उस के जीवन में ही नहीं, बल्कि बेटियों के जीवन में भी अंधेरा कर दिया.
हुआ यह कि जिस गैराज में रामभरोसे कमानी मरम्मत का काम करता था, उसी में एक युवक विपिन काम करता था. साथसाथ काम करते हुए विपिन और रामभरोसे में दोस्ती हो गई. दोस्ती गहरी हुई तो दोनों साथ खानेपीने लगे. दोस्ती के नाते एक रोज रामभरोसे विपिन को अपनेघर ले आया.
घर पर पीनेखाने के दौरान विपिन की नजर रामभरोसे की खूबसूरत बीवी श्यामा पर पड़ी. श्यामा 4 बेटियों की मां जरूर थी, लेकिन उस में यौनाकर्षण बरकरार था. पहली ही नजर में श्यामा विपिन के दिलोदिमाग पर छा गई. वह श्यामा को अपनी अंकशायिनी बनाने के सपने संजोने लगा.
विपिन जानता था कि श्यामा के बिस्तर तक पहुंचने का रास्ता रामभरोसे से हो कर जाता है, इसलिए उस ने रामभरोसे से और भी गाढ़ी दोस्ती कर ली. वह उसे मुफ्त में शराब और मीट खिलाने लगा. यही नहीं, वह गाहेबगाहे उस की आर्थिक मदद भी करता था. विपिन ने जब देखा कि रामभरोसे पूर्णरूप से उस के अहसान तले दब चुका है, तब उस ने कहा, ‘‘रामभरोसे, ठेके पर पीने से मजा किरकिरा हो जाता है. घर में बैठ कर पीने का मजा ही कुछ और है. भाभी के हाथ का पका गोश्त मजा और भी दूना कर देगा.’’
मुफ्त की शराब और गोश्त के लालच में रामभरोसे ने विपिन की बात मान ली. इस के बाद वह मीट की थैली और शराब की बोतल ले कर रामभरोसे के घर पहुंचने लगा. श्यामा मीट पकाती और वे दोनों बैठ कर शराब पीते. फिर साथ बैठ कर ही खाना खाते.