रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन कोई मामूली इंसान नहीं था. तभी तो वह अपनी पत्नी राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज तारा शाहदेव पर धर्मांतरण का हर तरह का दबाव डाल रहा था. उस की इस जिद की वजह से उस के जो काले कारनामे सामने आए, उन से लगा कि वह रांची में समानांतर सरकार चला रहा था. झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली शूटर तारा शाहदेव की नजर 2016 में ब्राजील में होने वाले ओलंपिक खेलों पर लगी थी. इन ओलंपिक खेलों में वह हर हाल में पदक जीतना चाहती थीं, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उस की पहचान बन सके.
आंखों में यही सपना बसाए वह कड़ी मेहनत कर रही थी. रांची के शूटिंग रेंज में वह कुशल कोच निशांत के मार्ग निर्देशन में 50 मीटर राइफल शूटिंग की ट्रेनिंग कर रही थी. ट्रेनिंग से तारा में आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा था. इसी बीच उस के परिवार में एक ऐसी घटना घटी कि उस की इस ट्रेनिंग में व्यवधान आ गया. 2 अप्रैल, 2014 को तारा की मां प्रभा शाहदेव की तबीयत अचानक बिगड़ गई और उन की मौत हो गई. इस दुख ने तारा को झकझोर कर रख दिया. वह कई दिनों तक शूटिंग रेंज में अपनी प्रैक्टिस पर भी नहीं जा सकीं. प्रभा शाहदेव की मौत के सदमे से पिता अंबिकानाथ शाहदेव की तबीयत भी खराब हो गई. ऐसे में तारा शाहदेव के सामने दोहरी समस्या खड़ी हो गई. एक तरफ उस का लक्ष्य 2016 के ओलंपिक खेल थे और दूसरी तरफ था घरेलू तनाव.
तारा 12 साल की उम्र से शूटिंग करती आ रही थी. उस की इस लगन की वजह से पढ़ाई तक प्रभावित हुई, लेकिन उस ने शूटिंग के अभ्यास पर कभी आंच नहीं आने दी. मां की मौत के दुख को तारा भुलाने की काफी कोशिश कर रही थी, लेकिन उस माहौल से उसे उबरना आसान नहीं था. चूंकि तारा शाहदेव राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज थी, इसलिए इस तनाव से उबारने के लिए खेल मंत्रालय ने उस की मदद की. निशाना साधने के लिए एकाग्रता जरूरी होती है, इसलिए उस की काउंसलिंग कराई. इस के बाद तारा फिर से अपने अभ्यास में जुट गई. वह अभ्यास के लिए रोजाना शूटिंग रेंज जाने लगी. शूटिंग रेंज में मोहम्मद मुश्ताक अहमद भी निशाना लगाने की प्रैक्टिस करने आते थे.