वाराणसी के थाना कैंट के थानाप्रभारी इंसपेक्टर विपिन राय अपने औफिस में बैठे सहयोगियों से किसी मामले पर चर्चा कर रहे थे कि तभी उन के सीयूजी मोबाइल फोन की घंटी बजी. उन्होंने फोन उठा कर देखा, नंबर बिहार का था. उन्होंने फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘जयहिंद सर, मैं झारखंड के जिला गिरिडीह से सिपाही रामकुमार बोल रहा हूं. हमारे एसपी साहब आप से बात करना चाहते हैं.’’
‘‘ठीक है, बात कराएं.’’ इंसपेक्टर विपिन राय ने कहा.
इस के तुरंत बाद फोन एसपी साहब को स्थानांतरित किया गया तो इंसपेक्टर विपिन राय ने कहा, ‘‘जयहिंद सर, मैं वाराणसी के थाना कैंट का थानाप्रभारी इंसपेक्टर विपिन राय, आदेश दें सर.’’
‘‘विपिनजी, मेरे जिले के थाना घनावर की एक टीम कुछ अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए कल वाराणसी जा रही है. चूंकि अभियुक्तों का हालमुकाम पांडेपुर है, जो थाना कैंट के अंतर्गत आता है, इसलिए मैं चाहता हूं कि आप उन की हर संभव मदद करें.’’
‘‘सर, उन की हर संभव मदद की जाएगी.’’ इंसपेक्टर विपिन राय ने कहा तो दूसरी ओर से फोन काट दिया गया. यह 20 दिसंबर, 2013 की बात है.
अगले दिन 21 दिसंबर, 2013 की दोपहर को थाना घनावर की पुलिस टीम थाना कैंट आ पहुंची, जिस में एक सबइंस्पेक्टर, एक हेडकांस्टेबल और 2 महिला सिपाही थीं. सबइंसपेक्टर ने इंसपेक्टर विपिन राय के औफिस में जा कर कहा, ‘‘सर, मैं गिरिडीह के थाना घनावर का सबइंस्पेक्टर पशुपतिनाथ राय. कल आप की हमारे एसपी साहब से बात हुई थी न?’’
‘‘बैठिए, पहले चाय वगैरह पी लीजिए, उस के बाद अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए चलते हैं.’’