मीनू की शादी दमकल विभाग में फायरमैन लल्लू सिंह के साथ कर के परिवार के सब लोग खुश थे. लल्लू सिंह हर तरह से मीनू का खयाल रखता था. इसी बीच एक ऐसी घटना घटी कि मीनू के इकलौते भाई धर्मेंद्र सिंह यादव ने न सिर्फ मीनू बल्कि उस के पति और दोनों बच्चों की हत्या कराने के लिए बदमाशों को 10 लाख की सुपारी भी दे दी. आखिर, धर्मेंद्र के दिल में ऐसी कौन सी आग धधक रही थी? पढ़ें, यह दिलचस्प कहानी.

मीनू ने अपने मायके आनाजाना शुरू किया तो पूरे गांव में उस के प्रेम प्रपंच और भागने की चर्चाएं शुरू हो गईं. पुराने घाव हरे हुए तो भाई धर्मेंद्र यादव तिलमिला उठा. गांव में अब फिर से उस की बदनामी होने लगी थी. एक रोज तो हद ही हो गई जब उस के दोस्त ने उसे धिक्कारा, ''धर्मेंद्र, तू कैसा मर्द है. तूने तो यदुवंशियों की नाक ही कटवा दी. यदि मेरी बहन भाग कर वापस आती तो मैं उसे व भगाने वाले को ऐसा सबक सिखाता कि वह ताउम्र नहीं भूलते.’’

दोस्त की बात धर्मेंद्र के दिल में उतर गई. वह मीनू और उस के प्रेमी सूरज को सबक सिखाने की कसम तो पहले ही खा चुका था. लेकिन बेइज्जती का बदला लेने के लिए अब धर्मेंद्र ने सूरज के पूरे परिवार को ही खत्म करने का निश्चय किया. इस के लिए वह सुपारी किलर की तलाश में जुट गया. कुछ समय बाद धर्मेंद्र को अपराधी चतुर सिंह व वीर सिंह के बारे में पता चला. दोनों कुछ दिनों पहले ही जेल से छूट कर आए थे. चतुर सिंह कानपुर देहात के सिकंदरा कस्बे का रहने वाला था, जबकि वीर सिंह कानपुर देहात के किशनपुर गांव में रहता था. वीर सिंह चतुर सिंह का साढ़ू था. दोनों हार्ड क्रिमिनल थे.

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