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मन में अजीब सी कशमकश लिए महावीर दिल्ली चला तो गया लेकिन वहां उस का मन नहीं लगा. निर्मला उस के जेहन में हलचल मचाती रही. 15 दिन बाद उस ने फिर छुट्टी ली और घर आ गया. इतनी जल्दी घर लौटने पर घर वालों ने पूछा तो उस ने तबीयत खराब होने का बहाना बना दिया.

महावीर को मालूम था कि बदन सिंह दोपहर के समय खेतों पर चला जाता है और फिर शाम ढले ही लौटता है. इसी मौके का फायदा उठा कर वह निर्मला का दिल टटोलना चाहता था. अगले दिन दोपहर में वह नहाधो कर तैयार हुआ और पत्नी से यह कह कर घर से निकल गया कि वह डाक्टर के पास दवा लेने जा रहा है. अपने घर से वह सीधा बदन सिंह के घर पहुंचा.

अचानक महावीर को आया देख कर निर्मला बोली, ‘‘अरे देवरजी, तुम इतनी जल्दी दिल्ली से आ गए.’’

‘‘आप को देखने का दिल कर रहा था, इसलिए आ गया.’’ महावीर ने मजाक किया. उस की बात पर निर्मला हंसते हुए बोली, ‘‘आप तो बड़े मजाकिया हो.’’ कह कर निर्मला रसोई में गई और फिर कुछ देर में उस के लिए चाय बना कर ले आई.

महावीर चुपचाप चाय पीने लगा. उस के दिमाग में यही बात घूम रही थी कि अपने मन की बात उस से कैसे कहे. तभी निर्मला ने उस से पूछा, ‘‘चुप क्यों हो, क्या हमारी देवरानी से झगड़ा हुआ है?’’

‘‘नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है. दरअसल, मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी पर आप की इस चाय ने मुझे भलाचंगा कर दिया है.’’

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