भय्यूजी महाराज मौडर्न संत थे, लग्जरी लाइफस्टाइल वाले. इस के बावजूद उन के करोड़ों भक्त थे और वह उन की समस्याएं सुलझाते थे. लेकिन यह कितने आश्चर्य की बात है कि वह अपने घर की समस्या को नहीं सुलझा पाए और आत्महत्या कर ली. आखिर क्यों...
‘पारिवारिक जिम्मेदारी संभालने के लिए यहां कोई होना चाहिए, मैं बहुत तनाव में हूं. थक चुका हूं,
इसलिए जा रहा हूं.’ ‘विनायक मेरे विश्वासपात्र हैं, सब प्रौपर्टी इन्वेस्टमेंट वही संभाले. किसी को तो परिवार की ड्यूटी करनी है तो वही करेगा. मुझे उस पर विश्वास है. मैं कमरे में अकेला हूं और सुसाइड नोट लिख रहा हूं. किसी के दबाव में आ कर नहीं लिख रहा हूं, कोई इस के लिए जिम्मेदार नहीं है.’
बीती 12 जून की दोपहर इंदौर के पौश रिहायशी इलाके सिलवर स्प्रिंग स्थित अपने घर में आत्महत्या करने वाले मशहूर संत भय्यूजी महाराज के 2 सुसाइड नोट मिले थे. दोनों में कोई खास फर्क नहीं है. सिवाए इस के कि दूसरे को एक कुशल संपादक की तरह संपादित कर छोटा कर दिया है और भाव बिलकुल नहीं बदले हैं. डायरी के पन्नों पर लिखे ये सुसाइड नोट बयां करते हैं कि भय्यूजी महाराज किस भीषण तनाव और द्वंद्व से गुजर रहे होंगे. अंतिम समय में उन्हें सिर्फ 2 चीजों परिवार और प्रौपर्टी की चिंता थी. उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा भक्तों और बाद के परिणामों पर अगर सोचा होगा तो तय है कि उन्हें अपनी समस्या का कोई हल नहीं सूझ रहा होगा.
12 जून की दोपहर जैसे ही 50 वर्षीय भय्यूजी महाराज की आत्महत्या की खबर आई तो लोग स्तब्ध रह गए. अपना जीवन फिल्मी स्टाइल में गुजार चुके इस संत ने आत्महत्या भी फिल्मी स्टाइल में की. फोरैंसिक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने गोली अपनी दाईं कनपटी पर मारी थी लेकिन वह सिर के बीचोंबीच लगी और आरपार हो गई थी. उस वक्त उन के आलीशान घर में बुजुर्ग मां के अलावा कुछ वफादार सेवादार ही थे जिनमें से एक का जिक्र उन्होंने अपने सुसाइड नोट में किया है. धमाके की हल्की सी आवाज आई, लेकिन किसी को उम्मीद नहीं थी कि यह हल्का सा धमाका किस चीज का है. कुछ देर बाद उधर भय्यूजी महाराज की पत्नी डा. आयुषि आईं और भय्यूजी महाराज को ढूंढने लगीं.