बिन्नी और गुरप्रीत सिंह दोनों ही क्लास वन अधिकारी थे. दोनों ने किया भी प्रेम विवाह था, दोनों मातापिता भी बने, फिर ऐसा क्या हुआ कि बिन्नी को आत्महत्या करनी पड़ी. आखिर कैसा निर्मोही पति था गुरप्रीत...
‘‘बे टा बिन्नी, रात के 10 बज गए हैं. अब तो अपने कमरे से बाहर निकलो.’’ मां मधु ने बेटी के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए कहा. दरवाजा खटखटाने और आवाज देने के बाद भी कमरे में कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मधु ने दोबारा दरवाजे की कुंडी खटखटाई. लेकिन इस बार भी बिन्नी के कमरे से न तो कोई आवाज आई और न ही कोई हलचल हुई. मधु चिंतित हो उठीं. पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था. आमतौर पर बिन्नी एक आवाज में अपना कमरा खोल कर बाहर आ जाती थी, लेकिन उस दिन पता नहीं क्या हुआ कि बिन्नी ने कमरा नहीं खोला. मधु ने इस से पहले बिन्नी का मोबाइल नंबर मिलाया था पर हर बार घंटी बजती रही, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ था.
मधु के मन में तरहतरह के खयाल आने लगे. एकदो मिनट उन्होंने सोचा फिर अपने दिमाग से वहम निकाल कर एक बार फिर जोरों से दरवाजे की कुंडी खटखटा कर आवाज दी, ‘‘बेटी, कमरा खोलो और खाना खा लो.’’
इस बार भी जब बिन्नी के कमरे से किसी तरह की आवाज नहीं आई तो मधु निराश हो कर डायनिंग हाल में रखी कुरसी पर बैठ गईं और कुछ सोचने लगीं. वे समझ नहीं पा रही थीं कि बिन्नी को आज क्या हो गया है, वह कमरा क्यों नहीं खोल रही. दोचार मिनट सोचनेविचारने के बाद मधु ने अजमेर में रहने वाले अपने बेटे को फोन लगा कर बताया कि पता नहीं क्या हो गया कि बिन्नी दरवाजा नहीं खोल रही है. बिन्नी शर्मा जयपुर में केंद्रीय गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी विभाग में डिप्टी कमिश्नर के पद पर तैनात थी. जयपुर के ही बजाज नगर स्थित एजी कालोनी के आफिसर्स एन्कलेव में उन्हें सरकारी बंगला मिला हुआ था. उसी बंगले में वह अपने 2 बेटों और मां के साथ रहती थी.