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दोपहर के पौने 2 बजे के करीब ओमप्रकाश ने अपने साले संजय के मोबाइल पर फोन किया, ‘‘संजय नीतू कहां है? मैं बहुत देर से उस का नंबर मिला रहा हूं लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ आ रहा है. पता नहीं उस ने अपना फोन बंद क्यों कर रखा है. तुम देखो तो वो कहां है? और उस से मेरी बात भी करा देना.’’

नीतू ओमप्रकाश की पत्नी थी, जो उस समय अपने मायके में रह रही थी, यह बात 21 जून, 2014 की है.’’

संजय उस समय अपने घर पर नहीं था. उस ने उसी समय अपनी बहन नीतू का फोन नंबर मिलाया तो वास्तव में वह बंद था. नीतू के पास जो मोबाइल फोन था उस में वोडाफोन और आइडिया कंपनी के सिम थे. संजय ने उस के दोनों फोन नंबरों को कई बार मिलाया. लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ बताया गया. इस बात को वह भी नहीं समझ पाया कि नीतू ने फोन बंद क्यों कर रखा है?

फिर संजय ने अपनी मां विजम को फोन किया, ‘‘मम्मी, नीतू कहां है? उस का फोन नहीं मिल रहा. जीजाजी उस से बात करना चाहते हैं. उस से कह देना कि वह जीजाजी से बात कर ले.’’

‘‘वो तो सुबह 11 बजे के करीब घर से नोएडा में उन के जाने के लिए निकली थी. कह रही थी कि ओमप्रकाश ने उसे पिक्चर दिखाने के लिए बुलाया है. क्या 3 घंटे में वो उन के पास पहुंची नहीं तो कहां चली गई?’’ विजम चिंतित होते हुए बोलीं.

विजम ने भी बेटी के दोनों नंबर अपने फोन से मिलाए तो वे बंद आ रहे थे. फिर उन्होंने अपने दामाद ओमप्रकाश से फोन पर बात की. ओमप्रकाश ने अपनी सास को बताया कि नीतू को उस ने पिक्चर देखने के लिए बुलाया जरूर था लेकिन वह उस के पास नहीं पहुंची.

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