एसपी राममूर्ति जोशी पहले भी अलवर में विभिन्न पदों पर रह चुके थे. इसलिए उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर भिवाड़ी और आसपास के इलाकों से पिछले दिनों लापता हुई महिलाओं का रिकौर्ड मंगवाया. इन महिलाओं की गुमशुदगी के बारे में जांचपड़ताल की गई, लेकिन ऐसा कोई सुराग नहीं मिला, जिस से पुलिस को शव के टुकड़ों की शिनाख्त में मदद मिलती.
इलाके की सोसायटियों में पिछले दिनों मकान खाली कर जाने वाले किराएदारों का भी पता लगाया गया. इस के अलावा घटनास्थल के निकटवर्ती सांथलका गांव में पिछले दिनों मकान खाली करने
वाले किराएदारों और कंपनियों से अचानक नौकरी छोड़ने वाले महिलापुरुषों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए डोर टू डोर सर्वे किया गया.
यह काम भूसे के ढेर में सूई खोजने जैसा था. पचासों पुलिस वाले इस काम में सुबह से शाम तक जुटे रहते. एसपी साहब इस काम में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते थे. वह हर संभव प्रयास से मृतका की शिनाख्त और कातिलों तक पहुंचना चाहते थे. इसलिए रोजाना शाम को एडिशनल एसपी और डीएसपी से रिपोर्ट लेते और उन्हें जरूरी निर्देश देते.
पुलिस को मिली जांच की राह
2 सप्ताह से भी ज्यादा समय तक चली इस भागदौड़ में पुलिस को पता चला कि गांव सांथलका की विनोद कालोनी में रहने वाले अमित गुप्ता और उस की पत्नी कोमल पिछले कुछ दिनों से बिना किसी को बताए अचानक कमरा खाली कर चले गए.पुलिस ने कालोनी के दूसरे लोगों से पूछताछ की, तो जानकारी मिली कि अमित और कोमल में आपस में झगड़ा होता रहता था. दोनों अलगअलग फैक्ट्रियों में काम करते थे. पुलिस को अमित का पता तो नहीं मिला. अलबत्ता यह जरूर पता लगा कि वह भरतपुर का रहने वाला है.