इमारत के चारों और घूमते हुए पीछे एक जगह रुक कर प्रकाश राय ने खन्ना से पूछा, “ये कमरे किस के है?”
“सफाई कर्मचारियों और वाचमैन के .”
“कितने वाचमैन हैं?”
“2 हैं. इन की ड्यूटी 2 शिफ्टों में है. सुबह 8 बजे से रात 8 बजे और रात 8 बजे से सवेरे 8 बजे तक.”
“इन के खाने की छुट्टी?”
“वो तो सर, ये अपनी सुविधा के अनुसार खाने जाते हैं. वैसे भी यह समस्या पहली शिफ्ट में आती है. ज्यादातर ये अपना खाना साथ लाते हैं. इसी कमरे में वे खाना खाते हैं. तब तक हम यहां के स्वीपर को गेट पर बैठा देते हैं.”
“दोनों के नाम क्या हैं और इन के घर कहां है?”
“कल नाइट शिफ्ट पर नारायण था. वह सेक्टर-10 में रहता है. मौर्निंग शिफ्ट में जो अभी पौने 8 बजे आया है, उस का नाम भास्कर है, वह खोड़ा में रहता है.”
“अच्छा, यहां स्वीपर कितने हैं?”
“एक ही है साहब, रणधीर और उस की पत्नी देविका. ये दोनों अपने दोनों बच्चों के साथ यहीं रहते हैं. बाहर का काम रणधीर और टायलेट वगैरह साफ करने का काम देविका करती है.”
खन्ना से बात करतेकरते प्रकाश राय इमारत के गेट पर आ गए. तभी एसएसपी, एसपी और सीओ भी आ गए. इन्हीं अधिकारियों के साथ डौग स्क्वायड की टीम भी आई थी. ऊपर जांच चल रही थी. प्रकाश राय एक सिपाही के साथ नीचे रुक गए, बाकी सभी अधिकारी ऊपर चले गए.
प्रकाश राय देविका के बारे में सोच रहे थे. वह सभी के घर में आजा सकती थी. वाचमैन जरूरी काम के बिना किसी फ्लैट में जा नहीं सकते थे. नारायण जो रात की ड्यूटी पर था, उसी के रहते हत्या हुई थी. लेकिन उस से पूछताछ करने पर प्रकाश राय के हाथ कोई सूत्र नहीं लगा. उस ने धनंजय को मीट ले आने जाते और लौटते देखा था बस.