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पुलिस टीम को जब सफलता नहीं मिली तो एसएचओ विक्रम सिंह ने अपने खास मुखबिरों को लगा दिया. उन्होंने दीपक के खास दोस्तों पर भी निगाह रखने को कहा. पुलिस के मुखबिर शराब के ठेकों तथा चायपान की दुकानों पर सक्रिय हो गए. इन्हीं ठिकानों पर दीपक सिंह अपने यारदोस्तों के साथ उठताबैठता और खातापीता था.

19 जनवरी, 2023 की सुबह एसएचओ विक्रम सिंह थाने पहुंचे तो उन्हें एक मुखबिर इंतजार करता मिला. विक्रम सिंह उसे अच्छी तरह पहचानते थे, लिहाजा पूछ बैठे, ‘‘कोई खास बात?’’

मुखबिर ने स्वीकृति में सिर हिलाया तो विक्रम सिंह उसे अलग कमरे में ले गए. एकांत में मुखबिर ने जो कुछ बताया, उसे सुन कर वह चौंक गए. फिर उन्होंने पूछा, ‘‘यह बात तुम्हें कैसे पता चली?’’

‘‘सरकार, मैं ने यह बात दीपक के दोस्तों के मुंह से सुनी है.’’ मुखबिर ने बताया.

‘‘ठीक है तुम जाओ. मैं देखता हूं. मगर होशियार रहना, किसी को इस की खबर न लगे. अगर कोई गड़बड़ हो तो मुझे खबर करना.’’ कह कर विक्रम सिंह ने उसे भेज दिया.

फिर विक्रम सिंह पुलिस टीम को साथ ले कर पनकी गंगागंज (भाग एक) जा पहुंचे. उन्होंने जीप एक मकान के सामने रुकवा दी. यह मकान विधवा आशा उर्फ बिट्टी का था. इस मकान में वह अपने बेटे पंकज उर्फ गोलू के साथ रहती थी. गोलू बाहर ही खड़ा था. एसएचओ ने उस से पूछा, ‘‘आशा कहां है?’’

‘‘मम्मी घर में हैं,’’ पंकज उर्फ गोलू ने जवाब दिया, ‘‘कोई खास बात है क्या साहब?’’

‘‘ब्लैकमेल के मामले में तुम्हें और आशा को थाने चलना पड़ेगा.’’ एसएचओ ने बहाना बनाया.

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