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अस्पताल पहुंच कर वह सुरेश को इमरजेंसी में ले आई. सुरेश की स्थिति देख कर डाक्टर्स और नर्स उस का चैकअप करने लगे. डाक्टर ने सुरेश की नब्ज टटोली. फिर दिल पर स्टेथेस्कोप लगा कर जांच करने के बाद उस ने सुरश्े की बौडी को हिलाडुला कर देखा. फिर गहरी सांस ले कर कहा, ‘‘यह तो मर चुका है.’’

‘‘नहींऽऽ’’ हेमा चीखी और पछाड़ खा कर सुरेश के ऊपर गिर पड़ी. वह जोरजोर से रोने लगी. सुधा और मीना उसे संभालने लगीं.

‘‘यह कैसे मरा है?’’ डाक्टर ने सुधा

से पूछा.

‘‘हेमा का कहना है कि इस ने आज ज्यादा शराब पी ली थी,’’ सुधा ने भरे कंठ से कहा.

डाक्टर ने हेमा की ओर देखा. वह सुरेश की लाश से लिपट कर रो रही थी. डाक्टर सहानुभूति दिखाते हुए बोला, ‘‘अपने आप को संभालिए, यह अस्पताल है. यहां जोर से रोएंगी तो और मरीजों को परेशानी होगी. आप रोना बंद कर के मुझे बताइए कि इस की मौत कैसे हुई?’’

हेमा ने आंसू पोंछते हुए कहा, ‘‘आज यह सुबह से ही पी रहे थे. पीने के बाद ये सो गए. मैं ने 2-3 घंटे बाद इन्हें खाना खाने के लिए उठाना चाहा तो यह नहीं उठे. मैं ने बहुत कोशिश की उठाने की, जब यह हिलेडुले भी नहीं तो मैं घबरा गई. मैं अपनी पड़ोसन के घर गई और इन्हें बुला लाई. सुधा दीदी ने भी इन्हें उठानेजगाने की बहुत कोशिश की. फिर कहा कि इन्हें अस्पताल ले चलो. मैं इन्हें पड़ोसिनों की मदद से यहां ले कर आ गई.’’

डाक्टर को हुआ शक तो बुलाई पुलिस

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