आईओ केतन सिंह ने अपने तेवर सख्त कर लिए, ‘‘हेमा, सुरेश को तुम ने ही पीटा है. अब सच बता दो वरना मैं दूसरा रास्ता अपनाऊंगा. तुम्हारे मुंह से सच्चाई उगलवाने के लिए मुझे सख्ती करनी पड़ेगा.’’
सख्ती का नाम सुनते ही हेमा टूट गई. उस ने रोते हुए कहा, ‘‘सुरेश को मैं ने ही लालतघूंसों से पीटा था साहब.’’
‘‘क्यों?’’
‘‘वह हमारे प्यार के रास्ते में बाधा बन गया था...’’
‘‘किस से प्यार करती हो तुम?’’ आईओ केतन सिंह ने उसे घूरते हुए पूछा.
‘‘सचिन से.’’
‘‘कहां रहता है सचिन?’’
‘‘मथुरा के वृंदावन में,’’ हेमा ने बताया, ‘‘कल वह मेरे साथ था, उस ने और मैं ने सुरेश को जबरन शराब पिलाई थी. फिर उस के मुंह में रुमाल ठूंस कर उसे लातघूसों से इतना मारा कि वह मर गया.’’
‘‘तो मरे हुए पति को ले कर तुम अस्पताल गई थी अपनी पड़ोसनों के साथ?’’
‘‘जी साहब, मैं सोच रही थी पड़ोसन साथ ले कर चलूंगी तो पुलिस शक नहीं करेगी मुझ पर. मुझे मालूम था डाक्टर सुरेश को मरा घोषित कर देंगे, तब मैं उस की लाश ले कर लौट आऊंगी. सभी को लगेगा ज्यादा शराब पीने से सुरेश की मौत हो गई है.’’
‘‘सचिन इस वक्त कहां है?’’
‘‘वह कल ही वृंदावन चला गया था.’’
‘‘उसे बुलाओ यहां. उस से कहो, पुलिस ने सुरेश की लाश का क्रियाकर्म कर दिया है. उन्हें शक नहीं हुआ है, तुम दिल्ली आ जाओ. उसे कहां बुलाना है, यह मैं बता देता हूं. तुम्हारे फोन से सचिन से बात करो, वैसे ही जैसे पहले करती थी.’’
आईओ ने हेमा को समझा दिया. फिर सचिन को मंडावली की मेन मार्केट में आ कर मिलने को कह दिया. हेमा ने सचिन को फोन किया और बड़ी सादगी और प्यार से उस से वही कहा जो आईओ ने समझाया था. उसे शाम तक मंडावली आने के लिए कह कर हेमा ने फोन काट दिया.