इकबाल और शफकत का प्यार जब इतना गहरा हो गया कि वे जुदा होने के नाम पर घबराने लगे तो एक दिन इकबाल ने हंसते हुए कहा, ‘‘शफकत, तुम मेरे चक्कर में कहां पड़ रही हो? शायद तुम्हें पता नहीं कि मैं पहले से ही शादीशुदा हूं. मेरी एक बेटी भी है. लेकिन मेरी बीवी मुझ से अलग रहती है, जिस के लिए मुझे गुजाराभत्ता देना पड़ता है.’’
शफकत अब तक इकबाल के प्यार में इस कदर डूब चुकी थी कि उस की इन बातों पर उसे विश्वास नहीं हुआ, इसलिए इस बात को मजाक समझ कर वह उस के साथ जिंदगी के सुनहरे सपने बुनती रही. दोनों के दिल एकदूसरे के लिए मचल रहे थे. इकबाल शफकत से बेपनाह मोहब्बत करने लगा था, इसलिए एक दिन उस ने अपने दिल की बात अब्दुल्ला से कह दी, ‘‘दोस्त, आप की भतीजी शफकत से मुझे प्यार हो गया है. मैं उस से निकाह करना चाहता हूं. आप अपने भैया से बात करो.’’
अब्दुल्ला को इस निकाह से कोई ऐतराज नहीं था. इकबाल और शफकत पढ़ेलिखे और समझदार थे. दोनों ही अपना अच्छाबुरा सोचनेसमझने लायक थे. इसलिए दोनों के निकाह में उसे कोई बुराई नजर नहीं आई. इस के बाद अब्दुल्ला जयपुर गया तो उस ने भाई शमशाद से शफकत और इकबाल के रिश्ते की बात चलाई. थोड़ी नानुकुर के बाद शमशाद ने इस रिश्ते की मंजूरी दे दी.
इकबाल के पहले निकाह की बात जब अब्दुल्ला को ही नहीं मालूम थी तो शमशाद को कैसे मालूम होती. शफकत से उस ने कहा था तो उस ने इसे मजाक समझा था, इसलिए उस के पहले निकाह की बात राज ही बनी रही. शमशाद अहमद के हामी भरने के बाद 23 दिसंबर, 2012 को इकबाल और शफकत का निकाह दिल्ली में हो गया.