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आज शाइस्ता परवीन को कौन नहीं जानता. उमेश पाल हत्याकांड में फरार चल रही उत्तर प्रदेश पुलिस  की मोस्टवांटेड सूची में शामिल 50 हजार की ईनामी शाइस्ता परवीन के पीछे पूरे उत्तर प्रदेश की पुलिस पड़ी है. उसे इलाहाबाद के कोनेकोने में तो तलाशा ही जा रहा है, देश का ऐसा कोई राज्य नहीं है, जहां उस की तलाश न हो रही हो.

इलाहाबाद शहर ही नहीं, गांवगांव और नदी के कछार तक में पुलिस छापे मार रही है. पर डौन अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता तक पुलिस पहुंच नहीं पा रही है. पुलिस को शाइस्ता की इतनी बेसब्री से तलाश क्यों है, यह जानने से पहले आइए थोड़ा उस के जीवन के बारे में जान लेते हैं.

शाइस्ता परवीन का जन्म 1972 में उत्तर प्रदेश के जिला इलाहाबाद (जो प्रयागराज के नाम से जाना जाता है) के मोहल्ला धूमनगंज के रहने वाले मोहम्मद हारुन के घर हुआ था.

मोहम्मद हारुन उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल थे और पड़ोसी जिले प्रतापगढ़ में तैनात थे, इसलिए शाइस्ता का ज्यादातर समय वहीं बीता. उस के परिवार में मातापिता के अलावा उस की 4 बहनें और 2 भाई हैं. उस के दोनों भाई मदरसे में प्रिंसिपल हैं.

शाइस्ता की स्कूली शिक्षा किदवई, प्रयागराज के मेमोरियल गर्ल्स इंटर कालेज में हुई. इस के बाद उस ने प्रयागराज से ग्रैजुएशन किया. शाइस्ता के घर वाले और अतीक के घर वाले एकदूसरे को जानतेपहचानते थे. दोनों के घर वालों का एकदूसरे के घर आनाजाना भी था. इसलिए शाइस्ता के घर वाले जब शाइस्ता का रिश्ता अतीक के लिए ले कर उस के घर गए तो उन्होंने हां कर दी. इस के बाद अगस्त, 1996 में शाइस्ता का निकाह अतीक के साथ हो गया.

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तब तक अतीक जुर्म की दुनिया में कदम रख चुका था. शाइस्ता पढ़ीलिखी तो थी ही, वह पहले से ही बोलने चालने में तेजतर्रार थी. भाईबहनों में सब से बड़ी होने की वजह से उसे घर संभालना भी आता था. इसलिए अतीक के घर आते ही उस ने उस का घर संभाल लिया था.

इतना ही नहीं, अतीक के हर जुर्म में वह उस का साथ भी देने लगी थी. वह पिता के साथ थाने आती जाती थी और पुलिस के काम करने का तरीका नजदीक से देखती थी. इस के अलावा पिता भी घर में अकसर पुलिस के तौर तरीकों और किस अपराध में कैसे बचा जा सकता है, इस की चर्चा करते रहते थे.

इसलिए शाइस्ता कभी पुलिस से नहीं डरी और समय समय पर राजनेता और बाहुबली पति अतीक अहमद की मदद करती रही. अतीक जब जेल में था, तब शाइस्ता ही उस के अपराध के साम्राज्य को संभालती रही.

पुलिस बचाव के लिए ओढ़ा राजनीतिक चोला

शाइस्ता का माफिया पति अतीक पहले अपराधी बना, उस के बाद पुलिस से बचने के लिए राजनेता बन गया था. क्योंकि जब उस के एनकाउंटर का आदेश हुआ था, तब प्रयागराज के एक बड़े कांग्रेसी नेता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री से कह उस की जान तो बचाई ही थी, साथ ही सलाह भी दी थी कि अगर उसे पुलिस से बचना है तो वह राजनीति में आ जाए.

तब अतीक ने पहले तो निर्दलीय चुनाव लड़ा. उस के बाद जीत गया तो समाजवादी पार्टी में शामिल हो गया था. समाजवादी पार्टी ने उसे सांसद भी बना दिया था. उसी तरह पति के जेल जाने के बाद पति का आपराधिक साम्राज्य चलाने वाली शाइस्ता भी राजनीतिक संरक्षण पाने के लिए सितंबर, 2021 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम में शामिल हो गई थी.

पर उत्तर प्रदेश में जब भाजपा की सरकार आई और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की सरकार ने माफियाओं पर शिकंजा कसना शुरू किया तो उस में सब से ज्यादा आफत अतीक अहमद पर ही आई. उस की कई सौ करोड़ की संपत्ति पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा कर जब्त कर ली.

अचानक आए इस संकट से घबरा कर शाइस्ता ने इसी साल यानी 2023 में मायावती का हाथ थाम लिया था यानी उस ने बहुजन समाज पार्टी जौइन कर ली थी. बसपा उसे प्रयागराज से मेयर का टिकट भी देने को तैयार थी.

पर इसी बीच विधायक राजू पाल के भाई और राजू पाल हत्या के चश्मदीद गवाह उमेश पाल की हत्या में माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन का नाम साजिशकर्ता के रूप में आ गया तो बसपा ने उसे प्रयागराज से मेयर का टिकट देने से मना तो कर ही दिया, पार्टी से भी निकाल दिया.

उमेश पाल की जब हत्या हुई थी, उस समय अतीक अहमद गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद था. अतीक का भाई अशरफ भी बरेली जेल में बंद था. जबकि शाइस्ता प्रयागराज में ही अपने घर में रह रही थी.

कहते हैं कि उमेश पाल की हत्या की बात शाइस्ता ने ही शुरू कराई थी. उमेश पाल की हत्या से पहले वह अतीक से मिलने साबरमती जेल गई थी. तभी वहां अतीक और शाइस्ता के बीच उमेश पाल की हत्या कराने की चर्चा हुई थी.

इस के लिए अतीक ने शाइस्ता से जेल में मोबाइल फोन पहुंचाने को कहा था. जेल में फोन पहुंचाने के लिए उस ने एक पुलिस वाले का नाम भी बताया था. शाइस्ता ने उसी पुलिस वाले के जरिए अतीक तक फोन पहुंचवा दिया था. इस के बाद अतीक ने शूटर्स से बात की तो वह अशरफ से बरेली जेल में जा कर मिला और फिर उमेश पाल की हत्या की फाइनल योजना बन गई और 24 फरवरी, 2023 को उमेश पाल की हत्या हो गई.

इस तरह उमेश पाल की हत्या की योजना में शाइस्ता शामिल थी. यही नहीं, उस के घर शूटरों की मीटिंग भी हुई थी. शाइस्ता ने तय किया था कि हत्या के बाद किसे कहां जाना है. उसी ने सभी को खर्च के लिए पैसे भी दिए थे.

अंडरग्राउंड हो चुकी है गैंगस्टर शाइस्ता

इसीलिए पुलिस उमेश पाल की हत्या की साजिश में शामिल शाइस्ता को गिरफ्तार करना चाहती है, क्योंकि वह सभी शूटरों को पहचानती थी. कहा तो यह भी जाता है कि उमेश की हत्या के बाद जब शाइस्ता की अतीक से फोन पर बात हुई थी तो उस ने पति से कहा था कि इस मामले में असद को नहीं शामिल करना था. तब अतीक ने कहा था कि वह शेर का बच्चा है.

उमेश पाल की हत्या के बाद से ही उत्तर प्रदेश पुलिस उसे पूछताछ के लिए तलाश रही है. अब तो लोग उसे लेडी डौन और गौडमदर भी कहने लगे हैं. पुलिस ने उस पर 50 हजार रुपए का ईनाम भी रखा है. पुलिस हाथ धो कर उस के पीछे पड़ी है, पर उस का पता नहीं लगा पा रही है.

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