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पुलिस रिकौर्ड के अनुसार शाइस्ता परवीन पर 5 मुकदमे दर्ज हैं. इन में से धोखाधड़ी और फरजी दस्तावेज तैयार करने की 3 एफआईआर थाना कर्नलगंज में दर्ज हैं. जबकि उमेश पाल और उस के 2 सुरक्षाकर्मियों की हत्या का मुकदमा थाना धूमनगंज में दर्ज है. इस के बाद उस पर गैंगस्टर ऐक्ट भी लगा दिया गया है.

इसी उमेश पाल और उस के 2 सुरक्षाकर्मियों की हत्या वाले मामले में पुलिस उस की और उस के साथी गुड्डू मुसलिम और 5 लाख के ईनामी शूटर साबिर की तलाश कर रही है. पुलिस और एसटीएफ की टीमें लगातार उस की तलाश में छापे मार रही हैं, पर इन में से किसी का पता नहीं चल पा रहा है.

इन सभी पर ईनाम तो घोषित किया ही गया है, शाइस्ता के खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी किया जा चुका है, जिस से वह देश के बाहर न जा सके.

दरअसल, पति अतीक अहमद के जेल जाने के बाद शाइस्ता ही बेटों और पति के गुर्गों की मदद से पति का आपराधिक साम्राज्य चला रही थी. माना जा रहा है कि 5 लाख का ईनामी साबिर उस के साथ है. संभावना यह भी जताई जा रही है कि लुक आउट नोटिस जारी होने के पहले ही वह विदेश भाग गई है और वहीं से पति के गैंग की कमान संभाल रही है.

शाइस्ता को ले कर रोजरोज नईनई अटकलें लगाई जाती हैं. जब अतीक के बेटे असद का एनकाउंटर हुआ तो हर कोई यही सोच रहा था कि अपने बेटे को आखिरी बार देखने शाइस्ता जरूर आएगी, लेकिन वह बेटे को भी देखने नहीं आई.

इस के बाद 15 अप्रैल, 2023 को अतीक और उस के भाई अशरफ की हत्या हुई और 16 अप्रैल को जनाजा निकला तो सभी को पूरा विश्वास था कि पति के जनाजे में शामिल होने शाइस्ता जरूर आएगी. पर उस ने सरेंडर करने के बजाय आजादी को चुना और सालों तक पति के साथ रहने वाली शाइस्ता पति के अंतिम दर्शन तक के लिए नहीं आई.

इसलाम में किसी की मौत के बाद चालीसवां दिन बहुत खास माना जाता है. मुसलिम मानते हैं कि इस दिन मरे हुए इंसान की आत्मा अपने परिवार से मिलने आती है. चालीसवें दिन चेहल्लुम का फातिहा दिया जाता है, गरीबों को खाना खिलाया जाता है. इस दिन मरने वाले की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है. परिवार वाले ये सारी रस्में पूरा करते हैं.

इसलिए सभी को उम्मीद थी कि पति से जुड़ी अंतिम रस्म के लिए शाइस्ता सरेंडर कर सकती है. पर न तो शाइस्ता आई और न ही अतीक के भाई अशरफ की पत्नी जैनब ही. देवरानी जेठानी दोनों फरार हैं. तब चालीसवें की रस्म अतीक के बहनोई ने पूरी की थी. क्योंकि अतीक की बहन आयशा नूरी भी फरार है.

पुलिस की कोशिशें हुईं नाकाम

अब सवाल यह उठता है कि आखिर शाइस्ता कहां है? पुलिस उस की तलाश में रातदिन एक किए हुए है. आखिर कौन लोग हैं, जो शाइस्ता को बचा रहे हैं, उसे खर्च दे रहे हैं, उस के खानेपीने और रहने की व्यवस्था कर रहे हैं? पुलिस ने शाइस्ता को दिल्ली के अलावा कौशांबी की कछार में ढूंढा, सैयद सरावां, उजहिनी और मेहगांवा गांव में ही नहीं, मदरसे में भी छापा मारा. कौशांबी के गांवगांव में तलाशा गया, पर पुलिस शाइस्ता का पता नहीं लगा सकी.

दरअसल, शाइस्ता तक पुलिस के न पहुंच पाने की 2 वजहें हैं. पहली वजह है उस की पहचान. एक तो वह बुरके में रहती है. फिर अतीक के समय भी वह बहुत कम मौकों पर सार्वजनिक तौर पर बाहर आई थी. उस के फोटो भी पुलिस के पास कम ही हैं. आखिरी बार वह बसपा जौइन करते समय मीडिया के सामने आई थी. पर उस समय वह बुरके में थी. उस के जो भी फोटो बिना बुरके के हैं, वे काफी पुराने हैं.

शाइस्ता का कोई नया फोटो पुलिस के पास नहीं है, इसलिए पुलिस को उस तक पहुंचने में परेशानी हो रही है. यह भी कहा जा रहा है कि अतीक के कुछ पुराने वफादार हैं, जो शाइस्ता की मदद कर रहे हैं. पुलिस ने तो अब उसे माफिया नाम भी दे दिया है.

पुलिस का कहना है कि शाइस्ता लगातार ठिकाने और फोन नंबर बदल रही है. लेकिन है वह प्रयागराज में ही. उस ने प्रयागराज में किसी मुसलिम बाहुल्य इलाके को अपना ठिकाना बना रखा है, जहां पुलिस का पहुंचना मुश्किल है.

अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा

उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस ने जांच के बाद शाइस्ता परवीन की देवरानी यानी अतीक अहमद के भाई अशरफ अहमद की पत्नी जैनब फातिमा को भी आरोपी बनाया है. पुलिस उस से भी पूछताछ करना चाहती है, क्योंकि पुलिस का मानना है कि अतीक और अशरफ के कई राज वह उगल सकती है.

शुरुआती जांच में पुलिस को उस के खिलाफ कई सबूत मिले हैं. पुलिस ने इसे पहले पकड़ा भी था और पूछताछ भी की थी. तब पुलिस को जैनब के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले थे, इसलिए शांति भंग के आरोप में चालान कर के उसे छोड़ दिया गया था.

तब इस ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर के पुलिस पर परेशान करने समेत कई अन्य आरोप लगाए थे. जैनब के साथ ही पुलिस ने अतीक की बहन आयशा नूरी और 2 भांजियों को भी पकड़ा था. पूछताछ के बाद पुलिस ने इन्हें भी शांति भंग में चालान कर के छोड़ दिया था.

जैनब का नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा, लेकिन अगर आज प्रयागराज के लोगों से पूछिए तो उस की पूरी क्राइम कुंडली बता देंगे. अपनी जेठानी शाइस्ता परवीन की तरह पुलिस द्वारा पकड़े जाने के डर से जैनब भी शौहर की मौत पर कब्रिस्तान नहीं पहुंची. उस ने भी जेठानी की तरह फरार होना उचित समझा.

आज उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए जितनी चुनौती शाइस्ता है, उतनी ही चुनौती जैनब भी है. अतीक के बेटे असद के एनकाउंटर तक वह प्रयागराज वाले घर पर ही थी. उस ने मीडिया के सामने बरेली तथा प्रयागराज के थानों में जा कर पति और जेठ की सुरक्षा की मांग भी की थी.

अशरफ से शादी के पहले जैनब का कोई आपराधिक रिकौर्ड नहीं रहा, लेकिन माफिया के घर शादी होते ही क्रिमिनल लिस्ट में उस का नाम आ गया. पुलिस का मानना है कि जैनब से पूछताछ में उमेश पाल हत्याकांड के अहम सबूत सामने आ सकते हैं. इसीलिए पुलिस को जैनब की तलाश है. पर वह भी जेठानी और ननद की तरह फरार है.

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