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जीवा पर कृष्णानंद की हत्या वाला मुकदमा चल ही रहा था कि हरिद्वार के एक बिजनैसमैन अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी, जो कारपेट का बिजनैस करते थे, की गोली मार कर हत्या कर दी गई. उत्तराखंड पुलिस ने एक सप्ताह के अंदर ही शूटरों को पकड़ लिया. शूटरों से पूछताछ में जीवा का नाम आया तो पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया. उस से भी पूछताछ की गई.

वैसे तो जीवा के खिलाफ 2 दरजन से ज्यादा मुकदमे दर्ज थे, जिन में से 17 में वह बरी भी हो गया था. पर 2 मामलों में वह घिर गया. पहला था ब्रह्मदत्त की हत्या वाला मामला और दूसरा हरिद्वार के बिजनैसमैन की हत्या वाला मामला. इन दोनों ही मामलों में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा हुई थी. अमित दीक्षित वाले मामले में उस के साथ 4 अन्य लोगों को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.

हालांकि बाद में जीवा ने कहा था कि उस के शूटरों ने गलती की थी. जो बिजनैसमैन मारा गया था, उसे नहीं मारना था. मारना तो किसी दूसरे को था, वह गलती से मारा गया.

जीवा को बुलेटप्रूफ जैकेट पहना कर लाया जाता था कोर्ट

अब तक जीवा उत्तर प्रदेश के 65 अपराध माफिया की लिस्ट में शामिल हो चुका था. उस पर कई बार गैंगस्टर ऐक्ट के तहत काररवाई हो चुकी थी. प्रशासन ने उस की कई करोड़ की प्रौपर्टी भी जब्त की थी. सजा होने के बाद जीवा जेल चला गया. बागपत जेल में जब मुन्ना बजरंगी की हत्या कर दी गई तो जीवा पहली बार डर गया कि कहीं जेल या पेशी के लिए अदालत ले जाते समय उस की भी हत्या न कर दी जाए. तब जीवा की पत्नी पायल ने पति की जान को खतरा बताते हुए कोर्ट में अरजी लगाई.

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