दुर्लभ और उस के साथी उज्जैन के दानी गेट इलाके में उस जगह बैठा करते थे, जहां मुर्दों का दाह संस्कार किया जाता था. दाह संस्कार करने वाले कुछ लोग काला पंछा यानी गमछा कंधे पर डाला करते थे. अपने आप को वजनी दिखाने के लिए इस गैंग के लोगों ने भी गमछा डालना शुरू कर किया. बाद में कंधों पर पंछा और खड़ा लाल टीका दुर्लभ गैंग की पहचान बन गए.
सोशल मीडिया के जरिए दिखाई ताकत
दुर्लभ कश्यप का फेसबुक अकाउंट था, जिस के जरिए वह अपराध फैलाता था. दुर्लभ सोशल मीडिया पर हमेशा सक्रिय रहता था. वह खुद को और अपने गैंग को प्रमोट करने के लिए फेसबुक का सहारा लेता था. दुर्लभ ने अपने एक सोशल मीडिया प्रोफाइल पर अपने आप को कुख्यात बदमाश और नामी अपराधी लिख रखा था.
दुर्लभ कश्यप का फेसबुक पर स्टेटस था कि वह कुख्यात बदमाश, हत्यारा और अपराधी है. कोई सा भी विवाद हो, कैसा भी विवाद हो तो उस से संपर्क करें. टीनएज में ही उसे अपराध करने का शौक चढ़ गया था. सोशल मीडिया पर उस के स्टाइल और पर्सनैलिटी से प्रभावित हो कर टीनएजर और युवा उस से जुडऩे लगे थे.
दुर्लभ कश्यप की फैन फालोइंग हर उगते सूरज के साथ बढऩे लगी. लोगों का साथ पा कर वह और मजबूत होने लगा. इस से वह शहर में छोटीमोटी वारदातें करने लगा. जुर्म करने के लिए अपने पेज पर विज्ञापन भी लिखता था. इस के अलावा सोशल मीडिया पर ही लोगों को धमकियां भी देता था. उस के अपराध का मुख्य जरिया सोशल मीडिया था. वह फेसबुक और वाट्सऐप के जरिए आपराधिक कामों को अंजाम देता था. वह हर रोज फेसबुक पोस्ट के जरिए रंगदारी, हफ्ता वसूली, लूटपाट और सुपारी लेता था.