कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

गुंडा टैक्स में मांगे थे 75 करोड़ रुपए

स्टेट हाईवे नंबर 88 का काम चल रहा था, तभी कंस्ट्रक्शन कंपनी से संतोष झा ने हफ्ता मांगा. उस समय यानी 2015 में संतोष ने कंपनी से 75 करोड़ रुपए गुंडा टैक्स मांगा था. पैसे न देने पर उस ने कंपनी के 2 मुख्य इंजीनियरों मुकेश कुमार और बृजेश कुमार को मार दिया.

दिनदहाड़े इस घटना को अंजाम दिया गया था, इसलिए चश्मदीद भी थे और कंपनी पर सरकार का हाथ भी था. इसलिए इस घटना की चार्जशीट तैयार करने में पुलिस ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी.

75 करोड़ की रंगदारी मांगने वाले संतोष झा का नाम पूरे भारत में चमक उठा. संतोष झा और मुकेश पाठक पकड़े गए. मुकदमा चला और गुरुचेला और इन के अन्य 7 साथियों को आजीवन कारावास की सजा हुई. सभी को जेल में डाल दिया गया.

मुकेश पाठक इस गैंग में कैसे शामिल हुआ, आइए अब यह जानते हैं. मुकेश अपनी पत्नी सलोनी से बहुत प्यार करता था. 3 साल की बेटी श्वेता और पतिपत्नी तीनों शांति से रह रहे थे. पारिवारिक जमीन का विवाद चल रहा था. जब यह विवाद बढ़ा तो उस के चाचा के बेटे प्रेमनाथ पाठक और बुआ के बेटे सुशील तिवारी ने मिल कर मुकेश नाम के इस कांटे को निकाल फेंकने की योजना बनाई.

एक दिन दोनों रात को उस के घर आए और गोलियां चलाने लगे. इस में मुकेश तो बच गया, पर गर्भवती सलोनी की गोली लगने से मौत हो गई. प्रेमनाथ और सुशील ने पुलिस और मायके वालों के साथ मिल कर ऐसी साजिश रची कि दहेज उत्पीडऩ में पत्नी की हत्या के आरोप में मुकेश को ही फंसा दिया.

मुकदमा चला तो 3 साल की बेटी श्वेता ने प्रेमनाथ और सुशील की ओर इशारा करते हुए कोर्ट में बयान दिया कि उस की मम्मी को पापा ने नहीं, इन दोनों अंकल ने मारा है.

बेटी के बयान के बाद मुकेश निर्दोष छूट गया. श्वेता के बयान पर प्रेमनाथ और सुशील फंस गए. कुछ दिनों बाद प्रेमनाथ जमानत पर बाहर आया तो बदले की आग में जल रहे मुकेश ने 8 मई, 2003 को प्रेमनाथ की हत्या कर के जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया.

2004 में पुलिस ने उसे पकड़ा. जमानत पर बाहर आने के बाद वह संतोष झा से जा मिला. अपने गैंग को मजबूत करने के लिए संतोष को ऐसे ही साथियों की जरूरत थी. उस ने संतोष की गैंग में दूसरे नंबर की जगह पा ली.

पुलिस को उस की दरजनों मामलों में तलाश थी. 17 जनवरी, 2012 को स्पैशल टास्क फोर्स ने उसे रांची से पकड़ कर मोतिहारी जेल भेज दिया. इस के बाद उसे शिवहर की जेल भेज दिया गया. इस से वह काफी नाराज था. पर तब उसे शायद यह पता नहीं था कि वहां उसे एक सुखद सरप्राइज मिलने वाला है.

अपराध की दुनिया में आने के बाद मुकेश के दिल में दिवंगत पत्नी सलोनी की यादें कुछ धुंधली होने लगी थीं. यहां जेल में आने के बाद एक बार फिर उस के दिल में प्यार का अंकुर फूटा.

पूजा और मुकेश की जेल में हुई थी शादी

बिहार में किडनैपिंग के कारोबार में केवल पुरुष ही नहीं जुड़े थे, यह साबित करने के लिए पूजा नाम की एक सुंदर युवती भी अपनी हिम्मत से इस धंधे में आ कर बहुत कम समय में किडनैपिंग क्वीन के रूप में नाम कमा चुकी थी. पौलिटेक्निक की पढ़ाई के साथ उस ने अपना यह कारोबार शुरू किया था. पर 4 सफल औपरेशन के बाद वह पुलिस के हत्थे चढ़ गई थी. वह भी इसी जेल में थी.

जेल की ऊंचीऊंची दीवारों के बीच मुकेश और पूजा की मुलाकातों का सिलसिला बढ़ा और दोनों में प्यार हो गया. बिहार की इस जेल में ढोल और शहनाई बजी. 14 अक्तूबर, 2013 को दोनों का विवाह हो गया. सभी कैदियों और पुलिस के आशीर्वाद के बीच जिले के एसपी ने पूजा का कन्यादान किया.

20 जुलाई, 2015 को तबीयत खराब होने का बहाना बना कर मुकेश अस्पताल में भरती हुआ. वहां पुलिस को प्रसाद के रूप में नशे वाली मिठाई खिला कर सुला दिया और खुद अस्पताल से फरार हो गया.

उस ने पुलिस को सांसत में डाल दिया. एक तो खुद फरार हो गया, दूसरी ओर पता चला कि पूजा गर्भवती है. जेल में कोई प्रेगनेंट महिला कैदी कैसे रह सकती है? जेल में मुकेश और पूजा की प्रेमलीला के चक्कर में 4 पुलिस अधिकारी भी सस्पेंड हुए.

संतोष झा के गैंग में मुकेश का दूसरे नंबर पर स्थान था. रंगदारी की जो मोटी रकम आ रही थी, उस से बिहार और नेपाल में रिश्तेदारों के नाम जमीनें और मकान खरीदे जा रहे थे. उस समय मुकेश के मन में एक बात खटकती थी कि उस की चालाकी और मेहनत का जो लाभ उसे मिलना चाहिए, वह उसे नहीं मिल रहा है.

दोनों के बीच दुश्मनी कैसे हुई, इस की सही वजह आज तक सामने नहीं आई. पर एक पत्रकार द्वारा जो एक कारण सामने आया, संतोष के स्वभाव के बारे में जानने वाले उसे सच मानते हैं. संतोष की गैंग की एक शरणस्थली नेपाल में भी थी. नेपाल का कारोबार राजा उर्फ सौरभ कुमार संभालता था.

जेल में आने के बाद मुकेश पाठक को पता चला कि गैंग के किसी भी सदस्य को बताए बगैर संतोष ने कंस्ट्रक्शन कंपनी से 35 करोड़ रुपए ले लिए थे. दगाबाजी के इस मुद्दे पर मुकेश का अपने गुरु संतोष से झगड़ा हुआ और उसी समय मुकेश ने तय कर लिया कि अब ऐसे गुरु को रास्ते से हटाना ही पड़ेगा.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...