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स्थानीय थानों में भी रहता था दबदबा

बात जनवरी, 2017 की है. विनोद उपाध्याय के दोस्त और खोराबार कजाकपुर का प्रौपर्टी डीलर संजय यादव घर से निकलते समय रहस्यमय तरीके से लापता हो गया.

उन दिनों योगी आदित्यनाथ प्रदेश के नएनए मुख्यमंत्री बने थे. भाई की गुमशुदगी का मामला ले कर पीडि़त दीपक मुख्यमंत्री के दरबार (गोरखनाथ मंदिर में) पेश हुआ और मामले की पूरी जानकारी दे कर भाई की हत्या किए जाने की आशंका जताई थी.

चूंकि मामला मुख्यमंत्री के गृह जनपद से जुड़ा हुआ था और एक बड़े प्रौपर्टी डीलर से भी जुड़ा हुआ था, इसलिए उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और गोरखपुर पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए तुरंत काररवाई करने का आदेश दिया.

मुख्यमंत्री के सख्त तेवर के बाद पुलिस हरकत में आई और संजय यादव की तलाश तेजी से शुरू की. लापता होने के बाद संजय यादव की आखिरी लोकेशन बेलीपार थाना क्षेत्र के चोरिया की मिली. बाद में दानबहादुर के खेत में उस की लाश मिली.

जिस क्षेत्र में संजय की लाश बरामद हुई थी, उसी इलाके में मृतक लाल बहादुर यादव का घर था. इस मौके को विनोद अपने हाथों से जाने देना नहीं चाहता था.

लाल बहादुर गैंग के लोगों ने विनोद के 2 आदमियों को दर्दनाक तरीके से मौत के घाट उतारा था. यह बात विनोद अभी तक नहीं भूल पाया था. उस ने इसी बात का फायदा उठाया और दोस्त संजय यादव की हत्या में लाल बहादुर गैंग के दुश्मनों को झूठे केस में फंसा दिया.

दरअसल, दीपक को भरोसा नहीं था कि खोराबार पुलिस मामले की जांच ठीक तरीके से करेगी. विनोद के बहकावे में दीपक पूरी तरह आ गया था, जो वह यही चाहता था. विनोद के उकसाने पर दीपक ने मामले की जांच खोराबार से शाहपुर थाने में स्थानांतरित करवा दी.

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